
अमृतसर,26 जून (राजन):शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पंजाब विधानसभा में पास किए गए गुरुद्वारा एक्ट 1925 संशोधन बिल मानने से इनकार कर चुकी है। बिल के खिलाफ निर्णय लेने के लिए जनरल इजलास श्री दरबार साहिब परिसर में बने तेजा सिंह समुद्री हाल में हुआ । जनरल सेक्रेटरी गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने शुरुआत में सभा को संबोधित किया।
नेहरू व मास्टर तारा सिंह समझौते की उल्लंघना

गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि यह नेहरू व मास्टर तारा सिंह समझौते की उल्लंघना है। कानूनी दाव-पेच के साथ एस.जी.पी.सी. को हथियाने की साजिश की जा रही है। एस.जी.पी.सी. में दखल दिया जा रहा है। एस.जी.पी.सी. का सफर उतार-चढ़ाव में रहा है।
एस.जी.पी.सी. विधानसभा में पास हुए संशोधन बिल को रद्द करती है
जिसके बाद एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि आज का इजलास इतिहास रचने जा रहा है। 1925 को एक्ट बनने से लेकर 1959 तक सिखों ने यत्न करने के बाद गुरुद्वारा एक्ट को मजबूत किया था। एडवोकेट धामी ने कहा कि गुरुद्वारा एक्ट 1925 में संशोधन करने के लिए एसजीपीसी सदस्यों की एक तिहाई सहमति चाहिए होती है। आज तक जितने भी मते पास किए गए और एक्ट में संशोधन किए गए, वे एसजीपीसी की मंजूरी से किए गए हैं।
संशोधन बिल तुरंत वापिस लिया जाए अन्यथा श्री अकाल तख्त से अरदास करके मोर्चा शुरू करेंगे

पंजाब सरकार सिखों के पूर्वजों के बलिदानों को दरकिनार कर जबरदस्ती इस एक्ट में संशोधन करना चाहती है। यह होने नहीं दिया जाएगा। प्रधान धामी ने कहा कि एस.जी.पी.सी. विधानसभा में पास हुए संशोधन बिल को रद्द करती है। सरकार संशोधन बिल तुरंत वापस ले। उन्होंने कहा कि मास्टर तारा सिंह ने सरकारी कमेटी का विरोध किया था। दो तिहाई प्रस्ताव के साथ संशोधन किए जाने की व्यवस्था थी। धामी ने सी.एम.मान पर पलटवार करते हुए कहा कि वह 68 वर्ष के हैं और 41 वर्ष उन्होंने वकालत की है। सी.एम. को तो दिल्ली से बाबू अरविंद केजरीवाल चलाते हैं। बाबू केजरीवाल जो बोलता है वह वही बोलते हैं। बाबू केजरीवाल ही बताते हैं कि उसने क्या-क्या बोलना है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को अधिकारों से बाहर जाकर गैर-संवैधानिक फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। दिल्ली के बाबू आम आदमी पार्टी के प्रमुख सिख विरोध सोच लागू करके शिरोमणि कमेटी को हथियाने की कोशिश में है। प्रधान धामी ने कहा कि विधानसभा में 20 जून को जो गुरुद्वारा संशोधन एक्ट पास किया एस.जी.पी.सी. उसे रद्द करती है। 1925 एक्ट में संशोधन एस.जी.पी.सी. की सिफारिश के साथ ही संभव है। सरकार की इस गैर-संवैधानिक हरकत को वह सिख विरोधी ऐलान करते हैं। विधानसभा में संशोधन बिल शिरोमणि अधिकार क्षेत्र और आजाद प्रतिनिध संस्था पर सीधा हमला है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा संशोधन बिल तुरंत वापिस लिया जाए नहीं तो श्री अकाल तख्त से अरदास करके मोर्चा शुरू करेंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। इसी के साथ प्रधान धामी ने मुख्यमंत्री मान द्वारा केस की उल्लंघना, रागी सिंहों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री और विधायक बुधराम को जनतक माफी मांगने के लिए कहा है।
एसजीपीसी और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच विवाद
सीएम भगवंत मान श्री हरिमंदिर साहिब से प्रसारित होने वाली गुरबानी को एक चैनल के पास नहीं रहने देना चाहती। जिसकेचलते पंजाब सरकार ने गुरुद्वारा एक्ट 1925 को संशोधित किया। मुख्यमंत्री ने बीते दिनों विधानसभा में कहा कि 21 जुलाई तक एक चैनल के पास एकाधिकार है। उसके बाद सभी चैनलों पर अमृतसर स्थित श्री हरिमंदिर साहिब से गुरबाणी सभी चैनलों पर चलेगी। इसकी फीड फ्री होगी , जो भी चलाना चाहे, वह इसे चला सकता है। सिख गुरुद्वारा एक्ट संशोधन बिल पर सीएम भगवंत मान ने कहा- ‘गुरबाणी प्रसारण मुद्दे पर एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर धामी कहते हैं कि यह फ्री है। लेकिन, यह फ्री नहीं है। यह एक्सक्लूसिव राइट हैं, यानी कि चैनल मालिक है। यह गुरुओं की बाणी है, यह इनके एक्सक्लूसिव राइट कैसे हो सकते हैं। चैनल को कमाई कैसे होती है, मुख्यमंत्री ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा- अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में गुरबाणी वाला चैनल लगवाना है तो 54 डॉलर लगते हैं। इसी चैनल पर गुरबाणी चलती है, सभी सुनते हैं। सभी इसी चैनल की सब्सक्रिप्शन लेते हैं, जिससे टीआरपी बढ़ जाती है। उसके साथ चैनल को विज्ञापन मिलते हैं। इससे कमाई हो रही है।
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