
अमृतसर, 22 जून :पंजाब में शहरी विकास प्राधिकरणों के अध्यक्ष पद पर मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। आम आदमी पार्टी सरकार के इस फैसले पर भाजपा, कांग्रेस और अकाली दल के नेताओं ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान को नजरअंदाज कर मुख्य सचिव को अध्यक्ष बनाना लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि अब पंजाब की असली कमान अरविंद केजरीवाल के हाथ में है और भगवंत मान सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री बनकर रह गए हैं। केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, अकाली दल प्रमुख सुखबीर बादल और कांग्रेस नेता सुखपाल खैहरा ने कहा कि आप सरकार ने जनता के जनादेश के साथ धोखा किया है और भगवंत मान को इस पर सफाई देनी चाहिए। वहीं आम आदमी पार्टी ने सफाई दी है कि यह फैसला विकास कार्यों में तेजी लाने और प्रशासन को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए लिया गया है, ताकि योजनाएं बिना देरी के लागू हो सकें।
विपक्ष की आरोपों पर अमन अरोड़ा ने दी सफाई
आप पंजाब अध्यक्ष और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि PRDPT एक्ट की धारा 29 (3) में संशोधन मुख्यमंत्री के अधिकारों को कम करने के लिए नहीं, बल्कि केवल विकास कार्यों में देरी को समाप्त करने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा, “मुख्य सचिव प्रस्तावों को स्वीकृति देंगे, लेकिन अंतिम मंजूरी पंजाब अर्बन डिवेलपमेंट अथॉरिटी और कैबिनेट से ही आएगी। खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान पुडा के चेयरमैन और कैबिनेट के प्रमुख हैं, ऐसे में उनके अधिकारों के कमजोर होने का सवाल ही नहीं उठता।”
विपक्ष की आलोचना पर मंत्री हरजोत बैंस ने साधा निशाना
शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने शिरोमणि अकाली दल पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्होंने अपने शासनकाल में कई गड़बड़ियां कीं, अब वही आम आदमी पार्टी की
जनहितकारी नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।वहीं, वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने इस कदम को विजनरी सुधार करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने दूरदर्शिता दिखाते
हुए सभी शहरी विकास प्राधिकरणों की अध्यक्षता मुख्य सचिव को सौंपी, ताकि विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था को मजबूती मिले और स्थानीय मुद्दों पर तेजी से फैसला लिया जा सके।
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