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पंजाब के किसान भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर करें पानी और पराली  का प्रबंध-डॉ. इंद्रबीर सिंह निज्जर

गेहूं-धान फसल चक्र से बाहर निकलें और विश्व बाजार को ध्यान में रखकर खेती करें

अमृतसर, 2 सितंबर(राजन):के.वीं नागकला द्वारा आयोजित किसान मेला के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित स्थानीय निकाय  मंत्री इंदरबीर सिंह निज्जर  ने किसानों को केवल एक-दो महीने के फसल चक्र को देखकर खेती न करने का परामर्श  दिया, बल्कि हमारे भविष्य की महत्वपूर्ण जरूरतें जिसमें पानी और पराली को बचाना सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है, खेती को ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि हम पराली  जैसे जैविक पदार्थ को खेतों में जला रहे हैं, जबकि यह मिट्टी का जीवन है। मंत्री निज्जर ने कहा कि यह सच है कि दीवार पर लिखा है कि निकट भविष्य में पंजाब को जल संकट का सामना करना पड़ेगा, लेकिन फिर भी हम इसके प्रति गंभीर नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि वर्ष 2035 तक भूमिगत जल इतना गहरा जाएगा कि इसे खेती के लिए निकालना संभव नहीं होगा। उन्होंने किसानों को गेहूं-धान फसल चक्र से बाहर निकलने और विश्व बाजार की मांग के अनुसार कृषि मॉडल अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने  कहा कि हमारी प्राथमिकता फसल की कमाई के साथ-साथ पानी, पराली  और पर्यावरण को बचाने की ओर अधिक होनी चाहिए, तभी हमारे बच्चों को रोटी मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि आज खेत छोटे होते जा रहे हैं और कृषि उपकरण बड़े होते जा रहे हैं, ऐसे में सहकारी खेती के बिना आजीविका नहीं होगी. सहकारी क्षेत्र में सरकार की कई योजनाएं बहुत मददगार हो सकती हैं, लेकिन हमारे किसान एक साथ काम करने को तैयार नहीं हैं, जिसके कारण हमें कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. उन्होंने विशेष रूप से माझे के किसानों का जिक्र किया और उनसे हवेलियों, मोटरों और गांवों की ओर जाने वाली सड़कों पर ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत  मान पंजाब की कृषि के प्रति बहुत ईमानदार हैं, लेकिन जब तक किसान भविष्योन्मुखी नहीं होता, तब तक उनके प्रयास व्यर्थ हैं। उन्होंने कहा कि हम नहर के पानी को पुनर्जीवित कर भूमिगत जल का बोझ कम करेंगे।
   

  इस अवसर पर कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने किसानों को खेतों में पराली बचाने के लिए आमंत्रित कर नए कृषि नवाचारों का लाभ उठाने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ अपने खेती के खर्च को कम करना समय की मांग है। इस मौके पर अटारी सेंटर के निदेशक डॉ. डॉ. राजबीर सिंह बराड़, निदेशक अनुसंधान अजमेर सिंह धात, डाॅ. अशोक कुमार, डाॅ. तजिंदर सिंह रियाद, डॉ. बिक्रमजीत सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा सहायक कमिश्नर हरदीप सिंह, डाॅ. पीएयू की कृषि विशेषज्ञ सतिंदर कौर मजीठा भी मौजूद थीं।

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