
अमृतसर, 6 अगस्त (राजन):आई फ्लू का कहर लगातार तेजी से अमृतसर में बढ़ रहा है। जिले के सरकारी और निजी स्कूलों के हजारों छात्र इस बिमारी से प्रभावित हो चुके हैं, वहीं कई अध्यापक भी इस बीमारी से नहीं बच पाए हैं और हजारों लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। सिविल अस्पताल में रोजाना 60से 70 मरीज आ रहे हैं।फिलहाल शिक्षा विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी करते अध्यापकों और छात्राओं को जागरूक रहने की नसीयत दी है, इसके साथ ही स्कूल मुखियों को हिदायत की है कि अगर किसी छात्र या अध्यापक को फ्लू का कोई भी लक्षण हों तो उसे तुरंत घर भेज दिया जाए और जब तक वह ठीक न हो जाए, उसे स्कूल न बुलाया जाए। जानकारी के अनुसार आई फ्लू जिसको पिंक आई के रूप में जाना जाता है, यह बीमारी तेजी से अपने पैर पासार रही है, जिले में ऐसे हालात बने हैं, लाखों की तादाद में जहां आम जनता इस बीमारी की ग्रिफ्त में आ चुकी है, वहीं सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र भी इस बीमारी की ग्रिफ्त में आ रहे है। मानसून के दौरान, कम तापमान और हाई ह्यूमिडिटी के कारण, लोग बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जी के संपर्क में आते हैं जो एलर्जिक रिएक्शन्स और आई इंफेक्शन जैसे कंजंक्टिवाइटिस का कारण बनते हैं।
इसे ‘पिंक आई” क्यों कहा जाता है ?
कंजंक्टिवाइटिस, जिसे ‘पिंक आई’ के रूप में भी जाना जाता है। कंजंक्टिवा (पतली और क्लियर लेयर, जो पलक के अंदर की परत और आंख के सफेद हिस्से को ढकता है) में होने वाली सूजन है। इसे पिंक आई इसलिए कहा जाता है, क्योंकि कंजंक्टिवाइटिस के कारण अक्सर आंखों का सफेद भाग गुलाबी या लाल हो जाता है। यह बीमारी एक दूसरे से आसानी से फैल रही है और स्कूलों में विद्यार्थियों के बीच सतर्कता की कमी के कारण यह बीमारी फैल रही है। यह बीमारी ऐसी है सप्ताह से लेकर 10 दिन तक ठीक हो रही है। जो छात्र इस बीमारी की जकड़ में आ रहे हैं, उनके परिवार के सदस्य बीमार हो रहे हैं।
छात्र को ऐसी बीमारी है तो वह स्कूल में न आए
वहीं दूसरी ओर जिला शिक्षा अफसर सुशील कुमार तुली ने कहा कि यह बीमारी फैल रही है। काफी बच्चे भी इसका काफी शिकार हो रहे है। कई स्कूलों में अध्यापक भी बीमारी की चपेट में आ चुके है। शिक्षा विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। अगर किसी छात्र को ऐसी बीमारी है तो वह स्कूल में न आए और अपना ध्यान रखे, जो स्कूल में केस रिपोर्ट हो रहे हैं, उस स्कूल में छिड़काव करवाया जाए। इसके अलावा स्कूल में प्रार्थना सभा में इस बीमारी के लक्षणों व बचाव के लिए छात्राओं को जागरूक किया जाए। अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में सिविल सर्जन को भी पत्र लिखकर विभाग द्वारा जारी हिदायतों संबंधी जागरूक करवाया गया है।
मार्कीट में बीमारी से निपटने वाले आई ड्रोप्स की कमी
बीमारी से निपटने के लिए आई ड्रोप की बड़े स्तर पर कमी आ रही है। तकरीबन बड़ी-बड़ी दुकानों पर बीमारी के इलाज के लिए काम करने वाले आई ड्रोप नहीं मिल रहे है। क्षेत्र के लोग डॉक्टरों से खाने की दवा ले रहे हैं और झोला छाप लाल पीली नीली गोलियां देकर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जागरूकता और आई ड्रॉप के जरिए इस बीमारी से निपटा जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन की पालना की जाए
सिविल सर्जन डा. विजय कुमार ने कहा कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें, अपने हाथ बार-बार साबुन या सैनीटाइजर से धोएं, आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मे का इस्तेमाल करें, संक्रमण वाले व्यक्ति या मरीज के रुमाल या कपड़े आदि सांझे न करने, भीड़ वाले स्थानों पर तैनाकी न करने आदि का खास ध्यान रखाना चाहिए। इस दौरान सहायक सिविल सर्जन डा. रजिंद्र पाल कौर ने कहा कि आई फ्लू के आम लक्षण आंखों का लाला होना, आंखों में सोजिश या खारिश होना आंखों की चिपकना, दर्द या बुखार होना आदि है। अगर किसी भी व्यक्ति को ऐसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत नजदीकी के स्वास्थ्य केंद् पर जाकर विशेषज्ञ डाक्टरों की ओर से अपना इलाज करवाएं।
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