
अमृतसर,17 जून (राजन) : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हरियाणा सरकार द्वारा दी गई एक महीने की पैरोल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह फैसला सरकार के दोहरे मापदंड का संकेत है.एडवोकेट धामी ने कहा कि एक तरफ सरकार सिख कैदियों को सजा काटने के बाद भी जेलों से बाहर नहीं ला रही है, वहीं दूसरी तरफ रेप और हत्या जैसे गंभीर आरोप में सजा काट रहे डेरा सिरसा प्रमुख को बार-बार रिहा किया गया है. जेल से बाहर लाया जा रहा है उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार ने सिख कैदियों को रिहा करने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार की द्वेष के कारण इसे पूरा नहीं किया गया.
सिख संगठनों द्वारा बार-बार उठाए गए मुद्दे का सरकार कोई सार्थक जवाब नहीं दे रही है। हालांकि, डेरा प्रमुख जो सीधे तौर पर वर्ष 2015 में बड़गाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब जी के अपमान से भी जुड़े हैं और यह व्यक्ति सिखों की धार्मिक भावनाओं का हत्यारा है और सरकारें हमेशा दयालु रही हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा और केंद्र की भाजपा सरकार मिलकर राजनीतिक खेल खेल रही है।एडवोकेट धामी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से पहले ही चुनावों के दौरान फरलो दे दी थी और अब संगरूर चुनाव के दौरान फायदा उठाने के लिए राम रहीम को फिर से पैरोल दे दी, जो पूरी तरह से गलत था। एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि सरकारों द्वारा राम रहीम को दिया गया संरक्षण सिख भावनाओं को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
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