
अमृतसर,6 अक्टूबर : मां दुर्गा की चौथी शक्ति कुष्मांडा की पूजा का दिन है। कुष्मांडा बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाली देवी हैं। देवी ने इस स्वरूप में लाल, पीले और हरे रंग के वस्त्र धारण किए हैं, इसलिए इनकी पूजा में भक्तों को लाल, पीले या हरे रंग के कपड़े पहनना चाहिए। सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में देवी की पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। पूजा करें और दिनभर व्रत रखें। देवी मंत्रों का जप करें। शाम को फिर से देवी की पूजा करने के बाद व्रत खोलें। हमारे शरीर में सप्त (सात) चक्र हैं, इन सात चक्रों में से देवी कुष्मांडा अनाहत चक्र में वास करती हैं।
देवी कुष्मांडा की पूजा विधि
गणेश पूजा के बाद देवी पूजा शुरू करें। पूजा में जल, दूध, मौली, चंदन, चावल, फूल, कुमकुम, हल्दी, चढ़ाएं। घी का दीपक और धूप लगाएं। शुद्ध घी से बने मालपुए, कद्दू के पेठे और मौसमी फल का भोग लगाकर आरती करें।
देवी मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधानाहस्तपद्याभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।
मंत्र जप के बाद पूजा के अंत में जानी – अनजानी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
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