अमृतसर,3 दिसंबर :पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को सेवादार के कपड़े पहनकर गोल्डन टेंपल में घंटाघर के बाहर बरछा पकड़कर सेवा की। उन्होंने अपने गले में तख्ती भी डाली हुई है। उनके साथ सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी सेवा की। वहीं बिक्रम मजीठिया ने जूठे बर्तन साफ करने की सेवा की।गेट पर सेवा करने के बाद सुखबीर बादल कीर्तन सुन रहे हैं। इसके बाद वह जूठे बर्तन साफ करने और जूतों की सेवा भी करेंगे।
सुखबीर बादल को टॉयलेट साफ करने की भी सजा सुनाई गई थी, लेकिन पैर में फ्रैक्चर होने के कारण उन्हें इससे छूट दे दी गई। अकाली दल के बागी गुट और शिरोमणि अकाली दल सरकार के दौरान अन्य कैबिनेट के सदस्य दोपहर 12 बजे के बाद टॉयलेट साफ करेंगे। एक दिन पहले सोमवार को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिंह साहिबानों की मीटिंग हुई थी, जिसमें सुखबीर बादल व अन्य को सजा सुनाई गई थी।
इन चार प्रमुख आरोपो पर मिली सजा
1. राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस ली
2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने सिखों के 10वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। इस पर राम रहीम के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया गया था, लेकिन बादल सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।
2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने माफी दिलवाई थी
श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राम रहीम को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिखों के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस लिया।
3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई
बादल सरकार के कार्यकाल के दौरान 1 जून 2015 को कुछ लोगों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई । फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट ) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए और बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैलया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए।
4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को इंसाफ नहीं दे पाए
अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। उन्हें राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने का दोषी माना जाता था। पूर्व डी जीपी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
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