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गुरु नानक  देव अस्पताल में आगजनी के बाद डायलिसिस यूनिट की वायरिंग उड़ जाने से फिलहाल यूनिट बंद और ऑपरेशन थिएटर व वार्डो के एयर कंडीशन चलाने पर रोक 

फायर ब्रिगेड विभाग तुरंत आग पर काबू ना पाता  तो पूरा अस्पताल आग की चपेट में आ जाने से भयंकर हादसा होता  

अमृतसर,15 मई (राजन): गुरुनानक देव अस्पताल में शनिवार को हुई आगजनी के बाद पास ही स्थित डायलिसिस यूनिट में शार्ट सर्किट होने से यूनिट की सारी वायरिग उड़ गई है। यूपीएस व बैटरियां भी खराब हो गईं हैं। जिस कारण पाचों डायलिसिस मशीनें बंद कर दी गई हैं। आगजनी के कारण आपरेशन थिएटर व वार्डो में एयर कंडीशनर चलाने पर भी रोक लगा दी गई है।रविवार को अधिकारियों ने डायलिसिस यूनिट का जायजा लिया। मशीनें सुरक्षित हैं, पर वायरिग जलने की वजह से इन्हें चलाया नहीं जा सका । इसके अतिरिक्त  आक्सीजन व पानी की पाइपें भी पिघल गई हैं। डायलिसिस करवाने के लिए प्रतिदिन दस मरीज यहां आते हैं। जब तक वायरिग दुरुस्त नहीं होती इन मरीजों को कोरोना वार्ड में इंस्टाल की गई दो डायलिसिस मशीनों से डायलिसिस किया जाएगा। हालांकि अस्पताल परिसर में लगे अन्य ट्रांसफार्मरों व हाटलाइन से बिजली की सप्लाई पूरी तरह से सुचारु है। पहले जले हुए ट्रांसफार्मरों को ओपीडी बेकसाइड लगाया गया था, जो बेहद खतरनाक था। यदि फायर ब्रिगेड विभाग द्वारा तुरंत आग पर काबू न पाया जाता तो पूरा अस्पताल इसकी चपेट में आ सकता था। नए ट्रांसफार्मरों को बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर की बैकसाइड में लगाने की योजना है। रविवार को बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने अस्पताल पहुंचकर जायजा लिया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने कोई काम नहीं किया है। 46 साल पुराने थे दोनों ट्रांसफार्मर की ओर ध्यान नहीं दिया गया. जिन दो ट्रांसफार्मरों को आग लगी थी वे 46 वर्ष पुराने थे। 500 केवीए के ये ट्रांसफार्मर 1976 में इंस्टाल किए गए थे। चार दशकों में अस्पताल में बिजली का लोड बढ़ता चला गया और इन्हीं पुराने ट्रांसफार्मरों से काम चलाया जाता रहा। इसका दुष्परिणाम शनिवार को सबने देखा। भयानक आग लगी और देखते ही देखते दूसरी मंजिल तक पहुंचने लगी। शुक्र है फायर ब्रिगेड ने स्थिति पर काबू पाया था।

मेडिकल कालेज के वाइस प्रिसिपल डा. जेएस कुलार ने अपनी जान जोखिम में रखकर पार्किंग एरिया में खड़े दोपहिया वाहनों को हटाया था। वह कुछ कर्मचारियों के साथ आग के बिल्कुल करीब पहुंचे और वाहनों को निकालने लगे। लॉक होने की वजह से वाहनों को हटाने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। यदि ये वाहन न हटाए जाते तो पेट्रोल से भरे इन वाहनों की वजह से आग कितनी तेजी से फैलती, यह कल्पना से परे है। डा. कुलार के इस साहसिक कार्य को ‘सरकारी मेडिकल कालेज अमृतसर डाक्टर्स’ के ट्वीटर अकाउंट पर अपलोड किया गया है।

पुरानी सरकारों ने खजाना खाली कर दिया है : मंत्री हरभजन सिंह

इस घटना के बाद पंजाब सरकार ने गुरुनानक देव अस्पताल में दो अत्याधुनिक ट्रांसफार्मर भिजवाएं हैं। ये ट्रांसफार्मर कांपैक्ट सब स्टेशन के हैं और ड्राई यानी तेल रहित हैं। इनमें आग लगने की गुंजाइश कम है। इन ट्रांसफार्मरों को लगाने का काम एक सप्ताह में पूरा किया जाएगा। बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने भी रविवार को अस्पताल में जले हुए ट्रांसफार्मरों का जायजा लिया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद दुखदायी है। भाग्यवश जानी नुकसान नहीं हुआ। पिछली सरकारों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। नए चिकित्सा उपकरण व नई इमारतें बनती गईं, जिससे ट्रांसफार्मरों पर लोड बढ़ता गया, पर नए नहीं लगाए गए। ईटीओ ने कहा कि पुरानी सरकारों ने खजाना खाली कर दिया है। पंजाब की स्थिति खराब है। हम इसे धीरे धीरे पटरी पर ला रहे हैं। जहां पैसा बचेगा, हम बचाएंगे। जो गारंटियां दी वह पूरी होंगी। पंजाब सरकार ने कर्ज लिया या नहीं, यह मसला नहीं। हमारा मकसद पंजाब का विकास करना है। कर्ज लिया है तो इसका दुरुपयोग नहीं होगा।
मंत्री हरभजन सिंह  ईटीओ ने कहा कि आगजनी की घटना के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से बात की। उन्होंने शनिवार रात को ही एक करोड़ 32 लाख के दो ट्रांसफार्मर भिजवा दिए। अस्पताल में दो हजार डाक्टरों सहित सहयोगी स्टाफ है। प्रतिदिन दो हजार मरीजों की ओपीडी और 250 एमबीबीएस छात्र भी शिक्षा प्राप्त करते हैं। इतने लोगों की जिदगी हमेशा खतरे में थी। हरभजन सिंह ईटीओ ने कहा कि दोनों नए ट्रांसफार्मर आधुनिक हैं और यह 500 केवीए के हैं। पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में जो खामियां हैं उसकी रिपोर्ट मंगवाई गई है। इनका समाधान किया जाएगा। इस अवसर पर मेडिकल कालेज के प्रिसिपल डा. राजीव देवगण, वाइस प्रिसिपल डा. जेएस कुलार, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. केडी सिंह, एसई विकास गुप्ता, एसडीओ राजीव शर्मा आदि थे।

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