अमृतसर,3 मार्च (राजन): हरियाणा में गुरुद्वारों के प्रबंधन को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से बुलाए गए जनरल इजलास में 6 मैंबरी कमेटी का गठन किया गया है। यह मैंबर पूरे देश के राज्य सभा और लोक सभा सांसदों को खत लिखकर हरियाणा सरकार की तरफ से उठाए गए गलत कदम के बारे में जानकारी देंगे। इतना ही नहीं, एसजीपीसी की आवाज को पार्लियामेंट में भी उठाने के लिए कहेंगे। एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने स्पष्टकर दिया कि इस साल पास होने वाले एसजीपीसी बजट में हरियाणा को जगह नहीं दी जाएगी। धामी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने जूतों व सादे कपड़ों में पुलिस को गुरुद्वारों में भेज कर ठीक नहीं किया। जनरल इजलास इसका पूरे तौर पर विरोध करता है।जनरल इजलास में 12 से 5 हरियाणा से सदस्य और 90 कुल सदस्य पहुंचे। धामी ने कहा कि जनरल इजलास के लिए 25 दिन का समय दिया जाता है। लेकिन यह इजलास कम समय में बुलाया गया था। इसलिए काफी सदस्य नहीं पहुंच पाए।
कम गिनती समूहों को दबाने का प्रयास
शिरोमणि कमेटी के प्रधान ने कहा कि आज इस देश की सरकार बड़ी तेजी से कम गिनती समूह को दबा कर हिंदू राष्ट्र की बात कर रही है। आज बैठक में इसका विरोध किया जाता है। केंद्र सरकार को हिदायत दी जाती है कि कम गिनती समूहों के धार्मिक मामलों में दखल बंद किया जाए। भारत में हर धर्म को सुरक्षित रखना उनका कर्तव्य है।
जबरी गुरुद्वारों का प्रबंध लेने का विरोध
गौरतलब है कि हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गठन किए जाने के बाद से ही हरियाणा में लगातार तनाव बना हुआ है। राज्य सरकार का समर्थन मिलने के बाद हरियाणा प्रबंधक कमेटी की तरफ से जबरी गुरुद्वारों का प्रबंध अपने हाथों में लिया जा रहा है। वहीं एसजीपीसी की तरफ से इसका विरोध लगातार जारी है
एसजीपीसी देख रही थी प्रबंध
गौरतलब है कि एसजीपीसी की तरफ से हरियाणा के 8 मुख्य व अन्य गुरुद्वारों की देखरेख की जा रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हरियाणा कमेटी को मान्यता दे दी गई। एसजीपीसी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा कमेटी को मान्यता दी है, हरियाणा के गुरुद्वारों के प्रबंधन की नहीं। 1985 के एक्ट 25 और एक्ट 87 के अंतर्गत हरियाणा के गुरुद्वारों का प्रबंध उन्हीं के पास होना चाहिए।
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