जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे

अमृतसर 24 मार्च(राजन):आज टीबी-डे है, जिसको लेकर पूरे जिले में जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। टीबी एक घातक संक्रामक रोग है, जो नाखुन और बालों को छोड़कर फेफड़ों से लेकर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। यह माइक्रोबैक्टीरियम जीवाणु की वजह से होता है।
जिले में 14 हजार लोग टीबी की चपेट में
इस समय जिले में 14 हजार लोग टीबी की चपेट में हैं। इसमें 3 हजार केवल बच्चे हैं। विश्व भर में टीवी को जड़ से मिटाने के लिए वर्ष 2030 तक का लक्ष्य लिया हैं वहीं, गुरुनगरी अमृतसर के सेहत विभाग ने 2025 तक टीबी से जिले को मुक्त करने का लक्ष्य लिया है। पिछले कई महीने से सिविल सर्जन डॉ. चरणजीत के दिशा निर्देशों पर इसको लेकर जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आज भी ग्रामीण एरिया में सेहत विभाग की कई टीमें सेमिनार के माध्यम से लोगों को सावधानी बरतने का संदेश देंगी।
एक सप्ताह से ज्यादा खांसी होने.पर तुरंत इसकी जांच करवाएं
जिला टीबी ऑफिसर डॉ. विजय गोतवाल ने
बताया कि अधिकतर बच्चों में यह बीमारी गिल्टी के रूप में होती है, जोकि गले के नीचे होती है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह से ज्यादा खांसी होने.पर तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए। फेफड़ों में टीबी के मरीज को हरदम मास्क लगाकर रखना चाहिए, क्योंकि खांसी के दौरान यह हवा से फैलता है और परिवार के सदस्य भी इससे संक्रमित हो सकते हैं।
मरीज और वर्करों को दी जाती प्रोत्साहन राशि
डॉ. विजय ने बताया कि इसके लिए टीबी रोगियों के मुफ्त उपचार की व्यवस्था की गई है। टीबी के रोगी के खाने पीने की ठीक व्यवस्था करने के लिए मरीज को 500 रुपए प्रति महीना भी सहायता राशि देने का प्रावधान भी किया गया है। सेहत विभाग की टीमों द्वारा गांव-शहर में सर्वे कर टीबी मरीजों की पहचान की जाती है। उसके बाद जांच करके उनका इलाज शुरू किया जाता है। आशा और आंगनबाड़ी वर्करों की ओर से नया रोगी खोजने पर उन्हें भी 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। ताकि मरीजों को यहां लाकर उनका इलाज करवा सके।
7 महीने में दवाई खाने से खत्म हो जाती है टीबी
तीन सप्ताह तक खांसी, बलगम में खून आना, छाती में दर्द के साथ सांस फूलना, थकान और रात में पसीना आना इसके लक्षण हैं। इसकी जांच बलगम और स्किन टेस्ट दो तरह से की जाती है। माइक्रोस्कोप से बलगम की जांच में 2-3 घंटे का समय लगता है। स्किन टेस्ट में इंजेक्शन से दवाई स्किन में डाली जाती है। इसके इलाज में एंटीबायोटिक दवाईयां 7 महीने तक खानी पड़ती हैं।
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