
अमृतसर,12 सितंबर (राजन): बंदी सिखों की रिहाई के लिए आज पंजाब के हर जिले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से प्रदर्शन किया गया। इस दौरान सारागढ़ी सराए के बाहर से दो पहिया वाहनों पर रोष मार्च निकाला गया। इसके बाद डीसी कार्यालय के सामने शिरोमणि कमेटी कर्मचारी सदस्य और समर्थक इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया और डिप्टी कमिश्नरों को ज्ञापन सौंपे जाएंगे। बंदी सिखों की रिहाई के लिए शिरोमणि कमेटी जल्द ही सिग्नेचर अभियान भी शुरू करने वाली है।

शिरोमणि कमेटी के प्रवक्ता ने बताया कि विरोध मार्च गुरुद्वारा सारागढ़ी से दुपहिया वाहनों पर शुरू हुआ। जिसका नेतृत्व शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने किया। उन्होंने कहा कि मार्च के दौरान शिरोमणि कमेटी के सदस्य यह दिखाने की कोशिश करेंगे कि देश में सिख अभी भी गुलाम हैं और उन्होंने काले कपड़े और लोहे की जंजीरें पहन रखी हैं और उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी का कहना है कि बंदियों की रिहाई के लिए सिख संगठन लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। इस संबंध में सरकारों की ओर से कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सिख दो से तीन दशकों से जेलों में बंद हैं।
प्रधानमंत्री ने नहीं दिया समय
एडवोकेट धामी के अनुसार इससे पहले भी 4 बार प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को खत लिखे जा चुके हैं। लेकिन एक बार भी भेजे गए खतों का जवाब नहीं आया। इतना ही नहीं, बार-बार कहने पर भी बंदी सिखों की रिहाई के मुद्दे पर बातचीत के लिए समय नहीं दिया गया। जिसके बाद सख्त कदम उठाने का फैसला लिया गया है।

सिखों के लिए नियम अलग
एडवोकेट धामी ने कहा कि कानून सभी के लिए समान होना चाहिए क्योंकि लंबे समय तक कई सिखों ने जेलों में आजीवन कारावास से अधिक की सजा काट ली है, लेकिन अभी तक रिहा नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश में अन्य कई बड़े-बड़े केसों में दूसरे समुदाय के लोगों की रिहाई हो चुकी है। भारत में सिखों के लिए अलग नियम बना
रखे हैं।
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