
अमृतसर,14 मई(राजन): डिप्टी कमिश्नर हरप्रीत सिंह सूदन ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे गेहूं की पराली या अन्य अवशेषों को न जलाएं बल्कि उन्हें खेत में ही मिला दें, जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ेगी। डीसी ने कहा कि कृषि अवशेषों को जलाने से हमारी भूमि के उपजाऊ तत्व नष्ट हो जाते हैं, इससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है और कई बार इसके धुएं और आग से दुर्घटनाएं भी होती हैं।उन्होंने कहा कि किसान प्रकृति का सच्चा मित्र होता है और जो किसान पूरे विश्व का पेट भरता है उसे उत्पादक नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि किसान का पूरा समाज सम्मान करता है और पूरा समाज उससे अपील करता है कि वह गेहूं की पराली न जलाए। उन्होंने कहा कि सूखे की वजह से पर्यावरण में आ रहे बदलावों का सबसे ज्यादा असर हमारी कृषि पर पड़ता है और हमने देखा है कि पिछले दिन की लगातार बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। इसलिए हमें प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को समझते हुए नादर में आग नहीं लगानी चाहिए।
तुड़ी बनाने के बाद बचे अवशेषों में आग लगाना उचित नहीं
वहीं मुख्य कृषि अधिकारी जतिंदर सिंह गिल ने किसानों से गेहूं की भूसी बनाने की अपील की है क्योंकि इस समय पराली की अच्छी मांग है।उन्होंने कहा कि कुछ किसान तुड़ी बनाने के बाद बचे अवशेषों में आग लगा देते हैं जो किसी भी तरह से उचित नहीं है, लेकिन इस अवशेष को खेत में ही जोत देना चाहिए, जिससे मिट्टी में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है और प्रजनन क्षमता मिट्टी में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि आग लगाने से खेतों में लगे पेड़ भी नष्ट हो जाते हैं और यह आग पक्षियों के लिए भी घातक होती है।
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