
अमृतसर, 20 मार्च:हमारा राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव और सार्वभौमिक प्रेम तथा राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान और निष्ठा का प्रतीक है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है, इसलिए यह जरूरी है कि राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय इसके सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाए। यह निर्देश डिप्टी कमिश्नर घनशाम थोरी ने जारी कर कहा दिनांक 30 दिसंबर, 2021 के आदेश द्वारा संशोधित भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराने/उपयोग/प्रदर्शनी के लिए भारतीय ध्वज संहिता, पॉलिएस्टर या मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज के अलावा और अब हाथ से बुने हुए या मशीन से बने, कपास के राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किया जा सकता है। /पॉलिएस्टर/ऊनी/रेशम खादी से बना हो। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति, निजी संस्था या शैक्षणिक संस्थान अपनी गरिमा और सम्मान बनाए रखते हुए राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज को दिन-रात फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार होना चाहिए। झंडा किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन झंडे की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा। निर्देश दिए गए हैं कि क्षतिग्रस्त या फटे हुए झंडे प्रदर्शित नहीं किए जाएं। इस झंडे को किसी भी अन्य झंडे की तरह एक ही समय में एक मस्तूल से नहीं फहराया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के पास नहीं फहराया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि ध्वज संहिता में उल्लिखित गणमान्य व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, राज्यपाल आदि को छोड़कर किसी भी वाहन पर झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें ताकि देश के सम्मान को ठेस न पहुंचे ।
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