
अमृतसर,9 अक्टूबर:नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा करें। कालरात्रि का स्वरूप बहुत भयानक है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्तों के सभी भय दूर होते हैं और शत्रुओं से रक्षा होती है। कालरात्रि की पूजा में नीले, पीले या लाल कपड़े पहनने चाहिए। देवी को गुड़ का भोग लगाएं।सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में देवी की पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। विधिवत पूजा करें और दिनभर व्रत रखें। देवी के मंत्रों का जप करें। शाम को फिर से पूजा करने
के बाद व्रत खोलें। हमारे शरीर में सप्त (सात) चक्र हैं, इन सात चक्रों में से देवी कालरात्रि सहस्त्रार चक्र में वास करती हैं। देवी का ध्यान करने से ये चक्र जागृत होता है।
देवी कालरात्रि की पूजा विधि
गणेश पूजा के बाद देवी पूजा शुरू करें। पूजा में जल, दूध, मौली, चंदन, चावल, फूल, कुमकुम, हल्दी, चढ़ाएं। घी का दीपक और धूप लगाएं । गुड़, मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें।
देवी मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा ।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
मंत्र जप के बाद पूजा के अंत में जानी – अनजानी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
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