
अमृतसर,3 दिसंबर :पंजाब में पुलिस कस्टडी से गैंगस्टर लॉरेंस के टीवी इंटरव्यू मामले की आज पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने सरकार ने पूछा कि तत्कालीन एसएसपी पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने कहा कि जब जेल में अपराध होता है तो जेल वार्डन को सस्पेंड किया जाता है। लेकिन जब जिले में घटना हुई है तो एसएसपी पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। इसी तरह अदालत ने यह भी पूछा कि पंजाब पुलिस को गैंगस्टर के इंटरव्यू का कैसे पता चला। सुनवाई में ने गृह सचिव भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे। अदालत ने उन्हें भी फटकार लगाई । साथ ही कहा कि अगली बार कार्रवाई नहीं हुई तो उच्च अधिकारी को तलब करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर तय की गई है।
ऐसे चली थी अदालत में सुनवाई
सुनवाई की शुरुआत में पंजाब पुलिस की तरफ से इंटरव्यू के समय हुई प्रेस कांफ्रेंस की ट्रांस्क्रिप्ट अदालत को दी गई, जिसमें डीजीपी की तरफ से बताया गया था कि इंटरव्यू पंजाब की जेल में नहीं हुआ है। अदालत ने पूछा कि आपको इंटरव्यू होने का पता कैसे लगा था। इसके बाद अदालत ने दूसरा प्वाइंट उठाया कि तत्कालीन एसएसपी पर क्या कार्रवाई की गई है। लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। अदालत ने पूछा कि आरोपी को क्यों बचाया जा रहा है। फिर अदालत ने जेल वार्डन की दलील दी। फिर अदालत
को बताया कि जो अधिकारी संस्पेंड किए है। उनके खिलाफ जांच रिटायर जज द्वारा की जा रही है। अदालत ने कहा कि यह हमें तय करना है कि जांच किससे करवानी है। हालांकि सरकार ने बताया कि रिटायर जज की अगुवाई में जांच चल रही है। वहीं, सरकार ने बताया कि जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई हैं, उन्हें पब्लिक डीलिंग से हटा दिया गया
है।
छोटे अधिकारियों का बली का बकरा न बनाया जाए
पंजाब पुलिस की तरफ से पहले इंटरव्यू के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई हैं। इसमें डीएसपी से लेकर हेड कॉन्स्टेबल रैंक तक के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। इसमें डीएसपी गुरशेर सिंह ( अमृतसर स्थित 9 बटालियन), डीएसपी समर वनीत, सब इंस्पेक्टर रीना ( सीआईए खरड़ में तैनात ), सब इंस्पेक्टर जगतपाल जंगू (AGTF में तैनात), सब इंस्पेक्टर शगनजीत सिंह (AGTF), ए एस आई मुखत्यार सिंह और हेड कॉन्स्टेबल ओम प्रकाश शामिल हैं। जबकि दूसरे इंटरव्यू की जांच राजस्थान पुलिस कर रही हैं। हालांकि गत सुनवाई पर अदालत ने कहा था कि छोटे अधिकारियों को बली का बकरा न बनाया जाए।
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