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बिक्रम मजीठिया पर विजिलेंस ने कसा शिकंजा: कल ई डी के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जांच में होंगे शामिल;पूर्व डीजीपी चटोपाध्याय ने भी दी जानकारियां

पूर्व डीजीपी चटोपाध्याय जानकारी देते हुए।

अमृतसर, 27 जून:पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा नशा तस्करी और आय से अधिक संपत्ति के केस में गिरफ्तार शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। आज पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चटोपाध्याय की इस मामले में एंट्री हो गई हैं। उन्होंने इस मामले में विजिलेंस को उनके समय की गई सारी जांच के बारे में बताया है। वहीं, अब ईडी के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह को विजिलेंस ने मजीठिया के खिलाफ जांच के लिए बुलाया है। निरंजन सिंह ने जानकारी साझा करने की सहमति दे दी है। वह कल दोपहर 12 बजे मोहाली विजिलेंस दफ्तर पहुंचेंगे। इससे पहले पूर्व डीजीपी चटोपाध्याय ने चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत में दावा किया है कि बिक्रम सिंह मजीठिया के नशा तस्करों से संबंध है। इसके पुख्ता सबूत 100 प्रतिशत है। ड्रग तस्करों से मिली भुगत और फाइनेंशियल गेन हुआ है। उन्होंने साफ किया है कि वह आज बयान दर्ज करवाने नहीं आए थे।जबकि विजिलेंस को केस पूरा बैकग्राउंड बताने आया था। उनके समय में 2021 में जब मजीठिया पर केस दर्ज हुआ था। उस समय वह डीजीपी थे। इसलिए केस की सुपरविजन की थी। उन्होंने कहा उस समय केस में क्या-क्या जानकारियां हमारे पास आई थी। मैने उन्हें इस केस का सारा बैकग्राउंड बताया है। ताकि वह मजबूती से केस को अदालत बैकग्राउंड बताया है। ताकि वह मजबूती से केस को अदालत में रख पाए ।

पूर्व डीजीपी ने मीडिया समक्ष की यह बातें

मीडिया से बात करते हुए पूर्व डीजीपी चटोपाध्याय ने कहा कि हमने 2021 में जब बिक्रम मजीठिया पर पर्चा दर्ज किया था। उस समय भी हमारे पास पुख्ता सबूत थे। इस समय भी सबूत है। उन्होंने कहा कि 2012-13 में मजीठिया के खिलाफ सबूत थे। लेकिन उस समय अकाली दल भाजपा की सरकार थी। उस समय मजीठिया मंत्री थे। ऐसे में कुछ नहीं हुआ। हालांकि उन्होंने कहा कि मजीठिया ड्रग तस्करों से संबंध है। पूर्व डीजीपी चटोपाध्याय ने कहा कि पुलिस और नशा तस्करों पर नजर रखने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक एसआईटी बनाई थी। हमारी एसआईटी ने तीन रिपोर्ट दी थी। जबकि एक रिपोर्ट मैने अलग से दी थी। वह अब भी बंद है। उन्होंने कहा कि हर जगह कुछ लोग होते हैं, जो संस्था को बदनाम करते हैं। वहीं पुलिस में भी कुछ भेड़े हैं। जो कि लोगों को शोषण करते है।उन्होंने बर्खास्त इंस्पेक्टर इंद्रप्रीत का नाम लेकर कहा कि उसके खिलाफ 15 जांच चल रही थी, जबकि 4 पर्चे थे।इसके बाद 4 प्रमोशन दी गई। जबकि वह सिपाही रैंक के आदमी को प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बना दिया। उन्होंने दावा किया कि भगौड़े एआईजी राजजीत ने ड्रग से सब कुछ बनाया है।पूर्व डीजीपी ने कहा कि एसआईटी के रूप में हमारी ड्यूटी हाईकोर्ट में रिपोर्ट देने की थी, एसआईटी का चालान पेश करना हमारी जिम्मेदारी नहीं थी। हमारे पास कुछ ठोस सबूत आ गए थे। बाहर से भी पैसे आए थे। लिंक फेक शैल कंपनियों में पैसा घुमाया गया। यह महत्वपूर्ण केस है।

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