अमृतसर 1 जुलाई (राजन): सीआइडी के फर्जी सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को थाना डी डिवीजन ने शुक्रवार की दोपहर गिरफ्तार किया है।आरोपियों के कब्जे से रंगदारी के पैसे भी बरामद किए गए हैं। पुलिस ने तरनतारन के पास रहने वाले पृथ्वी और युवराज के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। दोनों ही सगे भाई है।इस संबंध में इंस्पेक्टर रोबिन हंस ने कहां की मामले की जांच करवाई जा रही है।आशंका जताई जा रही है कि पकड़े गए आरोपी पहले भी कई लोगों को ठगी का शिकार बना चुके हैं। थाना डी डिवीजन पुलिस में लाहौरी गेट निवासी अंकित कुमार ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि पृथ्वी और युवराज उसे सीआइडी के अफसर बताकर उसकी मोबाइल की दुकान पर पहुंचे थे। पृथ्वी ने उसे सब इंस्पेक्टर और युवराज सिंह ने हेड कांस्टेबल बताया। पीड़ित ने आरोप लगाया कि दोनों आरोपियों ने उसे धमकाया कि वह चोरी के मोबाइल बेचते हैं। अंकित को डरा धमका कर पहले बड़ी राशि ले गए और बाद में और धमकाना शुरू कर दिया। पैसों की मांग की गई। पुलिस के पास शिकायत पहुंचने के उपरांत पुलिस ने ट्रैप लगाकर दोनों भाइयों को और पैसे लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है ।
पुलिस के नाम पर रुपए लेने वाला गिरफ्तार
अमृतसर: पुलिस के नाम से पचास हजार रुपये वसूलने के आरोप में थाना मकबूलपुरा की पुलिस ने उमरपुरा निवासी राजू सिंह को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार आरोपी के दो अन्य साथियों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी की जा रही है।कलेट ड्रेन के पास रहने वाले गुरलाल सिंह की शिकायत पर थाना मकबूलपुरा की पुलिस ने कलेट ड्रेन निवासी महिदर सिंह, नामदेव कालोनी निवासी दिलराज सिंह और राजू सिंह को नामजद कर लिया है। शिकायतकर्ता गुरलाल ने पुलिस को बताया कि कुछ समय
पहले उनके छोटे भाई सतनाम सिंह ने युवती को झांसा देकर उसका अपहरण कर लिया था। इस संबंध में थाना मकबूलपुरा की पुलिस ने सतनाम के खिलाफ बीती 9 अप्रैल को अपहरण केआरोप में केस दर्ज किया था। जब पुलिस ने आरोपी सतनाम की धरपकड़ शुरू की तो उसका कहीं ठिकाना नहीं मिला। पुलिस ने सतनाम के परिवार के साथ संपर्क किया और उसे सरेंडर करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। जब इस बाबत आरोपियों को पता चला तो उन्होंने गुरलाल से संपर्क कर उसे झांसा दिया कि वह उनके मार्फतपुलिस को पचास हजार रुपये दे। फिर पुलिस उनके पास कभी नहीं आएगी। गुरलाल ने आरोप लगाया कि उन्होंने महिदर सिंह और उसकेसाथियों को पचास हजार रुपये दे दिए। बावजूद पुलिस उनके संपर्क में रही। इस बात का जब पुलिस को पता चला तो आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।