अमृतसर,15 मई(राजन):कोई भी बाल गृह, जिसमें 0 से 18 वर्ष की आयु के अनाथ और निराश्रित बच्चे या विकलांग बच्चे, जो किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 41(1) के तहत पंजीकृत नहीं हैं, बाल गृह के प्रमुख और न्याय अधिनियम 2015 की धारा 42 के तहत जुवेनाइल एक्शन विभाग द्वारा की जाएगी, जिसके लिए 1 वर्ष का कारावास या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला बाल संरक्षण अधिकारी, अमृतसर युगेश कुमारी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के अनुसार कोई भी ऐसा बाल गृह जो किसी सरकारी गैर सरकारी संस्था द्वारा चलाया जा रहा हो, में जो 0 से 18 वर्ष के अनाथ और निराश्रित बच्चों या विकलांग बच्चों को आवास और भोजन और देखभाल प्रदान की जाती है और उन्हें सरकार से अनुदान प्राप्त होता है या नहीं, उन्हें किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 41 (1) के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है। . उन्होंने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों का संरक्षण एवं देखभाल) के तहत एक अनुरोध पत्र संबंधित जिले के उपायुक्त को शासकीय एवं गैर सरकारी संस्था द्वारा पंजीयन हेतु तथा उक्त बाल गृह का निरीक्षण करने के बाद जिला स्तरीय निरीक्षण समिति, राज्य सरकार को उपायुक्त की संस्तुति के माध्यम से पंजीयन हेतु भेजा जाना है, उक्त अवधि में राज्य सरकार द्वारा 6 माह के लिये अस्थाई पंजीयन किया जाता है एवं दस्तावेजों के पूर्ण सत्यापन के उपरान्त स्थाई पंजीयन किया जाता है। 5 साल।युगेश कुमारी ने कहा कि वर्तमान में अमृतसर जिले में किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत 3 सरकारी एवं 6 गैर सरकारी संस्थान पंजीकृत हैं।अतः अनुरोध है कि यदि जिले में कोई बाल गृह है जो किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत पंजीकृत नहीं है तो इसकी सूचना तत्काल जिला प्रशासनिक परिसर, द्वितीय तल कमरा नं. 236-238 (फोन नं. 78146-76459) को दी जाए तथा यदि गैर सरकारी संस्था पंजीकृत नहीं है तो जिला बाल संरक्षण इकाई में अपना आवेदन प्रस्तुत करें।
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