अमृतसर,30 अक्टूबर :पंजाब में स्थायी डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए एक बार फिर से घमासान शुरू हो चुकी है। पंजाब हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन वीके भावरा की ओर से सेंटर एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट ) में दायर एप्लीकेशन पर आज सुनवाई हुई, जिसे 6 नवंबर तक टाल दिया गया है। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय व पंजाब सरकार को पार्टी बनाया गया है। आईपीएस अफसर वीके भावरा ने एप्लीकेशन में कहा कि वह 1987 बैच के अधिकारी हैं। सरकार की ओर से डीजीपी नियुक्त करने के लिए यूपीएससीके नियमों का उल्लंघन किया गया। कैट में मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में बहस हुई। दोनों के पक्ष सुने गए, जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने मामले को 6 नवंबर तक टाल दिया है। इससे पहले कांग्रेस सरकार के समय पूर्व आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा और पूर्व आईपीएस अधिकारी सुरेश अरोड़ा कामामला कैट में पहुंचा था। इस दौरान कैट ने मोहम्मद मुस्तफा के हक में फैसला सुनाया, लेकिन हाईकोर्ट ने फैसले को बदल दिया था।पूर्व डीजीपी वीके भावरा की तरफ से पंजाब सरकार व केंद्रीय गृह
मंत्रालय को पार्टी बनाया गया है।
दो महीने की छुट्टी पर गए थे भावरा
बीते डेढ़ साल से पंजाब के पास स्थायी डीजीपी नहीं है और न ही पंजाब सरकार की तरफ से यूपीएससी में अभी तक नाम भेजे गए हैं। भावरा का कहना है कि वे 1987 बैच के सबसे सीनियर अधिकारी हैं और इस समय 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी गौरव यादव के पास कार्यकारी डीजीपीका चार्ज है। बीते साल पैदा हुए हालातों के बाद वीके भावरा 2 महीने की छुट्टी पर चले गए थे। हालांकि गृह विभाग को लिखे पत्र में भावरा ने छुट्टी लेने का कारण निजी बताया था।
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