अमृतसर,25 दिसंबर: श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी रघबीर सिंह ने गुरदेव सिंह काउंके के हत्यारों पर मामला दर्ज करवाने का आदेश दिया है। यह आदेश एसजीपीसी को दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि गुरदेव सिंह की हत्या हजारों सिखों के नरसंहार का एक घृणित उदाहरण है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि नब्बे के दशक में भाई गुरदेव सिंह काउंके की हत्या मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की कांग्रेस सरकार और पंजाब पुलिस के प्रमुख के. पी. एस. गिल ने की थी। गिल के माध्यम से हजारों सिख युवाओं का नरसंहारएक बहुत ही घृणित उदाहरण है, जिसे दुनिया के सामने आना और भाई काउंके के हत्यारों को बेनकाब करना और अनुकरणीय सजा दिलाना बहुत जरूरी है ।
पुलिस जांच में झूठी निकली भागने की कहानी
ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि 25 दिसंबर 1992 को भाई गुरदेव सिंह काउंके को पंजाब पुलिस ने उनके घर से अगवा कर लिया और अवैध हिरासत में रखकर अमानवीय यातनाएं दीं। इसके बाद पुलिस हिरासत से भागने का झूठा मामला दर्ज करके भगोड़ा घोषित कर दिया। भेदभरी हालत में गुम हुए गुरदेव सिंह की पड़ताल की भारी मांग पर 7 जून, 1998 को पंजाब पुलिस के तत्कालीन महानिदेशक बीपी तिवारी को जांच के आदेश दिये थे। अपनी जांच के दौरान तिवारी ने भाई काउंके के पुलिस हिरासत से भागने की कहानी को पूरी तरह से गलत पाया और भाई काउंके को घर से ले जाने, अवैध हिरासत में रखने और अमानवीय यातना देकर मारने के संबंध में गवाहों के बयान दर्ज किये ।
जत्थेदार बोले- वह मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे दर्दनाक मामला
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने कहा कि भाई गुरदेव सिंह काऊंके की हत्या का अध्याय शायद दुनिया में मानव अधिकारों के उल्लंघन का सबसे दर्दनाक मामला होगा, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद शर्मनाक है। काउंके की शहादत का दर्द हर सिख के दिल में है। जिसके चलते उनके हत्यारों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि सिख दिलों को राहत मिल सके। ज्ञानी रघबीर सिंह ने उन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने भाई की हत्या की तथ्य आधारित सच्चाई सामने लाने के लिए कड़ी मेहनत की।
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