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बेसहारा नगर निगम को नहीं मिल रहा कोई सहारा, काम हो रहे हैं प्रभावित

नगर निगम कार्यालय की तस्वीर।

अमृतसर,9 जनवरी (राजन): इस वक्त बेसहारा चल रही नगर निगम को कोई भी सहारा नहीं मिल रहा। नगर निगम में इस वक्त ना ही मेयर और ना ही कोई निगम कमिश्नर है। जिससे नगर निगम के लगभग सभी कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जनवरी 2023 को नगर निगम का हाउस का कार्यकाल पूरा हो गया। इसके साथ-साथ साल 2023 में नगर निगम कमिश्नरों के भी तबादले होते रहे। पिछले साल 5 दिसंबर को नगर निगम कमिश्नर राहुल का तबादला नगर निगम बठिंडा में हो गया था। राहुल के तबादले के उपरांत अभी तक पक्के तौर पर पंजाब सरकार द्वारा नगर निगम कमिश्नर नहीं लगाया गया। पिछले साल 15 दिसंबर को पंजाब सरकार के लोकल बॉडी विभाग द्वारा डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी को डीसी के साथ-साथ निगम कमिश्नर का भी कार्य दिया गया। किंतु डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी के पास डीसी का कार्य काफी होने के कारण उनके द्वारा नगर निगम के कार्य में पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

स्मार्ट सिटी लिमिटेड के भी कार्य हो रहे प्रभावित

डीसी घनश्याम थोरी निगम कमिश्नर के साथ-साथ अमृतसर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के भी सी ई ओ भी है। स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। स्मार्ट सिटी के चल रहे कार्यों के  पिछले लंबे अरसे से कोई भुगतान नहीं हुआ है। इसके अलावा  केंद्र सरकार की ओर से अमृतसर स्मार्ट सिटी लिमिटेड को अपने फंड की करोड़ों रुपए की किस्त  जारी करनी है। अगर अमृतसर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा 19 जनवरी तक 20 से 25 करोड़ तक राशि खर्च न की गई तो केंद्र सरकार से किस्त नहीं आएगी। जिससे बहुत भारी वित्तीय हानि हो जाएगी।

विकास के नए टेंडर और ठेकेदारों के भुगतान बंद

नगर निगम के विकास कार्य करने वाले ठेकेदारों का भी पिछले लंबे अरसे से कोई भी भुगतान नहीं हुआ है। जिसमें कुछ प्रोजेक्टो, एन कैप और अन्य प्रोजेक्टो के फंड भी निगम के खातों में पड़े हुए हैं। किंतु किसी भी ठेकेदार का भुगतान नहीं हो रहा है।इसके साथ-साथ  नगर निगम के जनरल विकास कार्यों करवाने  वाले ठेकेदारों के भी पिछले कई महीनो से कोई भी भुगतान नहीं हो रहे हैं। जनरल कार्य करने वाले और कुछ बड़े प्रोजेक्ट के ठेकेदारों ने विकास कार्य पूरी तरह से बंद किए हुए हैं। ठेकेदार तो सिर्फ निगम अधिकारियों से अपना बकाया भुगतान मांग रहे हैं। इसके साथ-साथ निगम अधिकारियों द्वारा कोई भी नया विकास कार्य का टेंडर नहीं लगाया जा रहा है। लोकल बॉडी विभाग से करोड़ रुपयो के विकास कार्यों के प्रोजेक्ट वेट होकर नगर निगम के पास आ चुके हैं। किंतु उनके भी वर्क आर्डर जारी नहीं हो रहे हैं।

नगर निगम की अपनी आमदनी भी बहुत कम

नगर निगम की आमदनी वाले विभाग जिन में प्रॉपर्टी टैक्स, एमटीपी विभाग, लैंड विभाग, वाटर सप्लाई व सीवेज बिल, लाइसेंस विभाग, विज्ञापन विभाग अपनी आमदनी के लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं। विशेषकर डिफाल्टर पार्टियों से भुगतान लेने में निगम अधिकारी कोई भी उचित कदम नहीं उठा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण नगर निगम का स्लॉटर हाउस की आमदनी प्रतिवर्ष  मात्र लगभग 7.50 लाख रुपए है जबकि शहर में बकरा, चिकन और मछली भारी भरकम बिकती है। अगर ठीक ढंग से इन से टैक्स वसूला जाए तो निगम को प्रतिवर्ष ढाई करोड रुपए से ऊपर की राशि एकत्रित आसानी से हो सकती है। मेयर और निगम कमिश्नर द्वारा  प्रत्येक सप्ताह में प्रत्येक विभाग की आमदनी को लेकर मीटिंग की जाती थी। किंतु पिछले कई महीनो से इस संबंध में कोई भी मीटिंग नहीं हुई है।

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