
अमृतसर, 30 मार्च : सीबीआई की विशेष अदालत से 32 साल बाद एक परिवार को इंसाफ मिला है।साल 1992 के फर्जी एनकाउंटर से जुड़े मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन एसएचओ अमरजीत सिंह को दोषी ठहराते हुए दस साल की सजा सुनाई है। उसे धारा 120 व 364 के तहत दोषी ठहराया गया है, साथ ही एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में उसे एक साल और जेल में बिताना होगा। वहीं, इस मामले के एक आरोपी तत्कालीन डीएसपी अशोक कुमार की मौत हो गई थी। इस मामले में साल 1999 में चार्जशीट दाखिल की गई थी।
ऐसे बलविंदर सिंह हुआ था गायब
इस बारे में वकील जगजीत सिंह ने बताया कि यह मामला 4 अक्तूबर 1992 झब्बाल अमृतसर से जुड़ा हुआ है। राजवंत कौर उसकी सास को एचएचओ थाना झब्बाल अमरजीत सिंह की टीम घर से उठाकर ले गई थी। उसके बाद राजवंत कौर के पति बलविदंर सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस वाले उन्हें दोबारा गांव लेकर आई। फिर बलविंदर सिंह को गिरफ्तार करके पुलिस ले गई। चार दिन बलविंदर की मां को थाने से छोड़ा दिया, जबकि छह सात दिन बाद बलविंदर की पत्नी को छोड़ा गया । 15 दिन तक बलविंदर सिंह से परिवारिक मेंबर व जान पहचान वाले थाने में जाकर मिलते रहे। लेकिन इसके बाद वह गायब हो गया। उसके बाद आज तक उसका कोई पता नहीं चला।
20 साल तक केस पर लगा रहा स्टे
बलविंदर की पत्नी ने इस मामले में लंबी की लड़ाई लड़ी। लंबे संघर्ष के बाद 1997 में बलविंदर के गायब होने संबंधी केस सीबीआई ने दर्ज किया। इस दौरान एसएचओ अमरजीत सिंह व डीएसपी अशोक कुमार पर अगवा करने समेत कईं धाराएं सीबीआई ने लगाई। इस केस 1999 में चालान पेश किया। इसके बाद 2001 केस में पहला गवाह पेश हुआ। फिर 2002 से 2022 तक केस में सीबीआई ने 31 गवाह रखे थे, इसमें 15 गवाह ही पेश हुए। वहीं, बलविंदर सिंह के साथ थाने में रहे गवाहों का क्रॉस नहीं हो पाया। हालांकि अब जाकर इंसाफ मिला।
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