अमृतसर,25 जुलाई(राजन): नगर निगम के आमदनी वाले विभाग अपने निर्धारित लक्ष्य से बहुत ही पीछे चल रहे हैं। इसका मुख्य कारण एम सेवा पोर्टल काफी स्लो चलना भी है। निगम ने अपने बजट में प्रॉपर्टी टैक्स विभाग का वार्षिक लक्ष्य 50 करोड़ रुपए रखा हुआ है। 1 अप्रैल से 25 जुलाई 2024 तक नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स के रूप में मात्र 4.07 करोड रुपए ही टैक्स एकत्रित हुआ है। प्रॉपर्टी टैक्स के निर्धारित लक्ष्य 50 करोड़ के एवज में चार महीनो में बहुत ही कम टैक्स एकत्रित हुआ है। निगम का प्रॉपर्टी टैक्स एम सेवा पोर्टल में जमा होता है। एम सेवा पोर्टल कभी पूरी तरह से बंद हो जाता है और अक्सर बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। निगम के सीएफसी टैक्स जमा करवाने के लिए आने वाले लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। कभी तो पोर्टल पूरी तरह से बंद ही रहता है।ऑनलाइन प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाने वालों को काफी दिक्क़तो का सामना करना पड़ रहा है।
30 सितंबर तक टैक्स जमा करवाने वालों को मिलता है 10% रिबेट
30 सितंबर तक प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाने वालों को 10% रिबेट मिलता है।जिस पर अधिकांश लोग सितंबर महीने में टैक्स जमा करवाते हैं। अगर एम सेवा पोर्टल का यही हाल रहा तो नगर निगम की आमदनी कम होने के साथ-साथ लोगों को भी भारी परेशानियां झेलनी पड़ेगी।इसके लिए निगम को सिटीजन फैलीस्ट्रेशन सेंटर में प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाने वालों को निगम अकाउंट में टैक्स जमा करके लोगों को रसीद जारी कर देनी चाहिए। और बाद में सीएफसी का स्टाफ इसे एम सेवा पोर्टल में ट्रांसफर करता रहे। ऐसा करने पर लोगों को तो भारी राहत मिल जाएगी और निगम की भी आमदनी बढ़ जाएगी। ऐसा करने पर सीएफसी के स्टाफ की मेहनत बढ़ जाएगी। ऐसा ही अगर वाटर सप्लाई सीवरेज बिल, लाइसेंस विभाग का भी सीधे अकाउंट में टैक्स जमा करके उपभोक्ताओं को रसीद जारी की जा सकती है। लाइसेंस ब्रांच भी अपने निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है। सीधे अकाउंट में टैक्स जमा होने के बाद एम सेवा पोर्टल में ट्रांसफर किया जा सकता है।
स्कूर्टनी केसों व डिफॉल्टर पार्टियों से प्रॉपर्टी टैक्स वसूले
इस वित्त वर्ष में अब तक 4.07 करोड रुपए ही प्रॉपर्टी टैक्स जमा होने का यह भी एक कारण है।प्रॉपर्टी टैक्स विभाग के पास स्कूर्टनी केसों की भरमार है।विभाग द्वारा इन केसों का निपटारा नहीं किया जा रहा है। प्रॉपर्टी टैक्स विभाग के स्कूर्टनी केसों का निपटारा करके निगम को साढ़े 3 करोड रुपए से अधिक टैक्स एकत्रित हो सकता है। इसके साथ-साथ प्रॉपर्टी टैक्स विभाग अपनी डिफाल्टर पार्टियों पर भी सख्त कार्रवाई करके भारी भरकम टैक्स एकत्रित कर सकते है।
वाटर सप्लाई सीवरेज बिल के एवज में मात्र 70 लाख हुए एकत्रित
नगर निगम ने वाटर सप्लाई सीवरेज बिल पर अपना वार्षिक लक्ष्य 17 करोड रुपए रखा हुआ है।किंतु निगम ने 1 अप्रैल से 25 जुलाई 2024 तक मात्र 70 लाख रुपए ही एकत्रित किया है। इसका मुख्य कारण पिछले 4 महीना से नगर निगम के कमर्शियल वाटर सप्लाई सीवरेज बिल एम सेवा पोर्टल में नहीं रुटेट हुए हैं। जिन रिहायशी के बिल उपभोक्ता को जा रहे हैं, अगर उपभोक्ता सीएफसी में बिल देने के लिए आता है, एम सेवा पोर्टल स्लो होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विभाग के सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि अब निगम के वाटर सप्लाई सीवरेज विभाग द्वारा बड़े-बड़े कमर्शियल उपभोक्ताओं को मैन्युअल बिल देने शुरू किए हैं। जिसके उपभोक्ता सीएफसी में आकर निगम के सीधे अकाउंट में जमा करवा रसीद लगे। उन्होंने कहा कि अब वाटर सप्लाई सीवरेज बिल की आमदनी बढ़ेगी।
पीएमआईडीसी को पोर्टल स्लो की बार-बार की शिकायतें
नगर निगम सहायक कमिश्नर विशाल वधावन ने कहा कि एम सेवा पोर्टल स्लो होने की पीएमआईडीसी को बार-बार शिकायतें की है। उन्होंने कहा कि निगम कमिश्नर हरप्रीत सिंह से मीटिंग करके सीधे अकाउंट में टैक्स जमा करवाने के बारे में वह बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए सीएफसी अधिकारियों से भी मीटिंग करेंगे।
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