मां सिद्धिदात्री
या देवी सर्व भूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
जय मां सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि के दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से vमन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्धि करती है तुम।
जमी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करें जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काम उसके करती हो पूरे।
कभी काम उस के रहे न अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैय्या अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दार का ही अंबे सवाली।
हिमालय है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
‘चमन’ है सवाली तू जिसकी दाता।