
अमृतसर,20 सितंबर (राजन): सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को मान्यता दिए जाने पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने चिंता जाहिर की है। एसजीपीसी जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट की डबल बैंच के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन डालेगी। यह फैसला आने के बाद एसजीपीसी के सचिव लखबीर सिंह अमृतसर से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। शिरोमणि कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने अमृतसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विरोधी पार्टियों पर सिखों को कमजोर करने के आरोप लगाए। धामी ने कहा कि हरियाणा में हुड्डा सरकार के समय विधानसभा में अलग सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रस्ताव पास किया गया था। एसजीपीसी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। धामी के अनुसार, सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया। आज हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को मान्यता दे दी गई। धामी ने कहा कि एसीपीसी जल्द ही इस मामले में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर देगी। अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी के आने का इंतजार किया जा रहा है।
भारत के लिए ठीक नहीं सिखों का तोड़ना
एसजीपीसी प्रधान ने विरोधी पार्टियों पर सिखों को कमजोर करने और बांटने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हमेशा सिखों के खिलाफ काम किया। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा कांग्रेस के ही थे। अब भाजपा ने
उनके कामों पर मोहर लगा दी। देश में सिखों को बंटना भारत के लिए ठीक नहीं है ।
बंटवारे में अलग हो गए 72 गुरुद्वारे
एसजीपीसी प्रधान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने आजादी से अब तक सिख गुरुद्वारे एसजीपीसी की मैनेजमेंट से निकलने की बात जरूर कही। धामी ने कहा कि आजादी के बाद बंटवारे के समय 72 गुरुद्वारे पाकिस्तान में रह गए। सिखों के पांच में से दो तख्त पटना साहिब और हजूर साहिब भी पंजाब से दूर हैं। सरकारें नहीं चाहती कि सिखों की ताकत इकट्ठी हो । हजूर साहिब बोर्ड 3 महीने से बंद है जिसे बहाल नहीं किया जा रहा। पटना साहिब का भी यही हाल है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सीधे तौर पर सरकार की झोली में है।
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