अमृतसर, 30 अक्टूबर (राजन): महर्षि स्वामी दयानंद और महात्मा आनंद स्वामी की शुभ तिथि पर बीबीके डीएवी कॉलेज फॉर वीमेन में एक वैदिक हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ पुष्पिंदर वालिया शर्मा और सुदर्शन कपूर, अध्यक्ष, स्थानीय प्रबंधन समिति ने न्यायाधीशों के रूप में काम किया। इस अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्राचार्य डाॅ पुष्पिंदर वालिया शर्मा ने कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफर में इंसान जो काम करता है वह हर पल उसके साथ रहता है। हवन – यज्ञ, पूजा और मानवता को अपनाने से आत्मा का उत्थान संभव है। हर आने वाला दिन और हर पल एक नई चेतना, इंसान के जीवन में एक नया संचार लाता है जिसे हर इंसान को सकारात्मक तरीके से अपनाना चाहिए और जीवन के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।
स्वामी दयानंद जी के कथन पर ध्यान देते हुए, “वेदोन की और बहुत चले” में हमें अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए और अपने जीवन चरित्र का निर्माण करना चाहिए। महर्षि दयानंद जिन्ना ने आर्य समाज की स्थापना की और आर्य समाज की अवधारणा के आधार पर डीएवी की स्थापना की। आज संस्थान भारतीय संस्कृति के बैनर को उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा आनंद स्वामी एक ऐसे महान योगी थे जिनकी शिक्षाओं ने आर्य समाज का मार्ग प्रशस्त किया। यह हमारा सौभाग्य है कि महात्मा आनंद स्वामी जी के पोते, आदरणीय पूनम सूरी जी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। आज भी यह प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने हवन में उपस्थित सभी स्टाफ सदस्यों को धन्यवाद दिया। समाज का उत्थान किया गया। उन्होंने वेदों की शिक्षाओं का प्रचार किया और आर्य समाज को उन्नत किया। संगीत विभाग के विजय माहिक और उनकी टीम ने श्रद्धांजलि समारोह में भजनों की प्रस्तुति दी। हिंदी विभाग की प्रमुख अनीता नरिंदर ने मंच का संचालन किया। कॉलेज के आर्य युवती सभा के सदस्य और पदाधिकारी इस पवित्र हवन यग में उपस्थित थे। हवन के अंत में प्रसाद वितरित किया गया।
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