अमृतसर, 1 जून (राजन):राजनीति में न तो स्थाई दुश्मन होता है और न ही दोस्त। समय के हिसाब से यहां सबकुछ बदलता रहता है। इसी का एक उदाहरण गुरुवार को जालंधर में पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ हुई सभी विरोधी दलों की बैठक में देखने को मिला। एक दूसरे के धुर विरोधी रहे नवजोत सिंह सिद्धू और बिक्रम सिंह मजीठिया इस मीटिंग में एक दूसरे को जफ्फी डालते नजर आए।आम प्रोग्राम से लेकर विधानसभा सदन तक हर जगह एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखने वाले और एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधने वाले दोनों नेता सर्वदलीय बैठक में दोस्ती का हाथ बढ़ाते नजर आए।
सिद्धू ने कहा- निजी दुश्मनी नहीं
मजीठिया से जफ्फी डालने के बाद बाद सिद्धू ने मजाकिया लहजे में कहा कि जफ्फी डाली है पप्पी नहीं ली। इस पर पूरे हॉल में ठहाका लग गया। इसके बाद सिद्धू ने कहा कि उनकी मजीठिया के साथ कोई निजी दुश्मनी नहीं है । आपसी मतभेद विचारधारा और पार्टी के हैं जो आगे भी रहेंगे।सिद्धू ने कहा कि दूरियां इतनी भी नहीं होनी चाहिए कि हाथ मिलाने लायक भी न रहें। उन्होंने कहा कि मैंने मजीठिया से बहुत दूरियां बना ली थीं, मैं मानता हूं कि मेरी गलती थी। इंसान के चाहे कितने भी मनमुटाव हों, लेकिन जब दुनिया के सामने मिलें तो कम से कम इस लायक तो
हों कि वह हाथ मिला लें। मेरे भी मनमुटाव हैं, लेकिन वह राजनीतिक हैं।
जेल जाने के बाद दोनों का दिल बदला
दोनों जब तक जेल में नहीं गए थे, तब तक एक दूसरे को जेल भेजने की बातें करते थे। लेकिन, जब दोनों पटियाला जेल में साल-साल लगा आए तो वहां के खाना पानी ने दोनों की एक दूसरे के प्रति दुश्मनी को भी खत्म कर दिया।पिछले लोकसभा उपचुनाव के दौरान भी सिद्धू ने मजीठिया के खिलाफ किसी तरह की कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था।
सिद्धू और मजीठिया के बोल वचन
सिद्धू ने विधानसभा में मजीठिया को सरेआम चिट्टे का व्यापारी कहा था। मजीठिया को नशे का तस्कर कह कर बुलाते थे। वहीं, मजीठिया सिद्धू को ठोको ताली कहकर तंज कसा करते थे। सिद्धू कहते थे जिसके पास कभी साइकिल थी, उसके पास रेंजरोवर और अमेरिका में पार्किंग लॉट कहा से आया। सिद्धू ने मजीठिया को शराब माफिया ड्रग्स माफिया कहा था।
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