मात्र 3 महीने में ही पंजाबियों का आम आदमी पार्टी से मोहभंग
अकाली दल , कांग्रेस और भाजपा की जमानत जब्त
अमृतसर, 26 जून(राजन):देश में पहले से आम आदमी पार्टी की लोकसभा में मात्र एक सीट रही संगरूर लोकसभा सीट पर अब शिअद (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने 5822 मतों से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमेल सिंह को हराया। इस सीट पर पहले आप के मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार दो बार विजय हुए थे, विधानसभा चुनाव में भगवंत मान के विजय होने के उपरांत उन्होंने इस लोक लोकसभा सीट को छोड़ दिया गया था। भगवंत मान पंजाब के मुख्यमंत्री बन गए। आम आदमी पार्टी के गुरमेल सिंह की हार से मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का गुरूर टूट गया है। मात्र 3 महीनों में ही पंजाबियों का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हो गया है। सिमरनजीत मान की जीत से संगरूर में पंजाब के सीएम भगवंत मान का किला ढह गया। भगवंत मान लगातार 2 बार यहां से लोकसभा के सांसद चुने गए थे। हालांकि अब वह इस सीट को नहीं बचा सके। इस हार से लोकसभा में आम आदमी पार्टी का अब कोई सांसद नहीं है। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के दलवीर गोल्डी हैं, जिन्हें 79668 वोट मिले हैं। वहीं चौथे नंबर पर भाजपा के केवल ढिल्लो को 66298 और पांचवें नंबर पर अकाली दल की कमलदीप कौर राजोआणा को 44428 वोट मिले है।
भाजपा ,कांग्रेस और अकाली दल के उम्मीदवार की जमानत नहीं बच सकी। यहां 23 जून को मतदान हुआ था। संगरूर सीट पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का गढ़ रही है।
31 साल बाद सबसे कम मतदान हुआ
संगरूर सीट पर 31 साल बाद सबसे कम 45.50 प्रतिशत मतदान हुआ है।इस बार कम मतदान से स्पष्ट है कि सरकार चला रही आम आदमी पार्टी को इसका नुकसान हुआ है।संगरूर सीट पर हुए उपचुनाव में पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का हत्याकांड, पंजाब में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे क्राइम, आम आदमी पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव में किए गए वायदों में से कोई भी ना पूरा करने और मात्र 3 महीनों में पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वर्किंग स्टाइल का मुद्दा छाया रहा। विरोधी पार्टियों ने इसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुआई वाली आप सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मूसेवाला इस चुनाव में शिअद (अमृतसर) के सिमरजीत सिंह मान के लिए प्रचार करने वाले थे। कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी को जिस तरह से पंजाब के लोगों ने फतवा दिया था किंतु इस हार के बाद यह साफ हो गया है कि लोग आम आदमी पार्टी के नेताओं को अब आम नहीं बल्कि खास मानने लगे और लोगों का मोह इस सरकार से बंद होता दिखाई दे रहा है। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री भगवंत मान को कड़ी मेहनत करनी होगी, नहीं तो पंजाब में होने वाले नगर निगमों के चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव में उनकी राह आसान नहीं होगी।