कहा,सिख के सिर पर सजी दस्तार सिर्फ 5-6 मीटर का कपड़ा नहीं
अमृतसर, 12 जनवरी (राजन):केंद्र सरकार ने सिख फौजियों की सुरक्षा के लिए हेलमेट खरीदने का प्लान बनाया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने ऑर्डर भी दे दिया है, लेकिन श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस पर ऐतराज जता दिया है। उनका कहना है कि पगड़ी पर कुछ भी पहनना, सिख मर्यादा के खिलाफ है। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि सिख के सिर पर सजी दस्तार सिर्फ 5-6 मीटर का कपड़ा नहीं है। यह वे ताज है, जिसे गुरुओं ने उन्हें पहनाया है। यह सिखों की पहचान का प्रतीक है। इस प्रतीक पर किसी तरह को टोप पहनाना सिखों की पहचान को खत्म करने का प्रयत्न है।
जंग में भी सिखों ने दस्तार डाल बहादुरी दिखाई
पंथ में सिख को टोपी पहनना वर्जित करार दिया गया है। चाहे वे कपड़े की हो या लोहे की। दूसरे विश्व युद्ध, 1965, 1962 और 1971 की जंग में भी सिखों ने दस्तार डाल बहादुरी दिखाई थी। उनका कहना है कि कुछ संस्थाएं भी इसे प्रमोट कर रही हैं, जो मंद-भागी बात है। हेलमेट डॉट कॉम एक वेबसाइट बना दी गई है, जो सिखों में
हेलमेट प्रमोट कर रही है। यह गलत है।
12730 हेलमेट खरीदने का है ऑर्डर
केंद्र सरकार ने सिखों के लिए 12730 हेलमेट खरीदने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल तैयार किया है। जिसमें 8911 बड़े और 3819 एक्स्ट्रा लार्ज स्वदेशी हेलमेट खरीदने का प्रपोजल है। दरअसल, सिख सैनिक प्रैक्टिस के दौरान एक बुलेटप्रूफ पटका पहनते हैं, जो सिर के एक हिस्से को ढकता है।
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