निगम अधिकारी ड्यूटी मजिस्ट्रेट और भारी पुलिस बल को साथ लेकर गए

अमृतसर,5 मार्च (राजन): नगर निगम ने अपनी करोड़ों रुपयों की जमीन पर कब्जा ले लिया है। नगर निगम कमिश्नर संदीप ऋषि के आदेशों पर एस्टेट अफसर धर्मेंद्रजीत सिंह, निगम बागवानी विभाग के अधिकारी, निगम सिविल विंग के अधिकारी, ड्यूटी मजिस्ट्रेट विक्रमजीत सिंह, थाना इस्लामाबाद के प्रभारी परनीत सिंह ढिल्लों , फताहपुर पुलिस चौकी के प्रभारी, भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। मौके पर ही दो ट्रैक्टरों के माध्यम से हल चलाया गया। जेसीबी के माध्यम से कब्जे तोड़े गए।

नगर निगम द्वारा अपनी मिलकियत के बोर्ड लगाए गए। इस जमीन की चारों ओर निगम अधिकारियों द्वारा बुर्जीया लगाकर कटीली तार लगाई जा रही है।
विधायक अजय गुप्ता भी मौके पर पहुंचे
आम आदमी पार्टी के इसी क्षेत्र के विधायक डॉ अजय गुप्ता जब नगर निगम अधिकारियों द्वारा कब्जा लिया जा रहा था, वह भी अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे। डॉ अजय गुप्ता ने कहा कि पिछले लंबे अरसे से अरबो रुपयों की नगर निगम की जमीनों पर कब्जे हुए हैं। उनको अब छुड़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नगर निगम की कब्जा हुई जमीनों के रिकॉर्ड मंगवाए जा रहे हैं। इन जमीनों से भी कब्जे हटाए जाएंगे।
राजनीतिज्ञ और निगम अधिकारियों की मिलीभगत से नगर निगम की जमीन पर कब्जा बरकरार

फताहपुर झब्बाल रोड पर पिछले लंबे अरसे से नगर निगम की 109 कनाल 18 मरले (13.75 एकड़) जमीन पर कब्जा चल रहा था। नगर निगम द्वारा साल 1997 को 3 वर्ष के लिए खेती-बाड़ी के लिए यह जगह ठेके पर दी हुई थी। नगर निगम को अधिकार था कि कभी भी इस जगह को वापस ले सकती थी। मिली जानकारी के अनुसार साल 1997 को जब ठेके पर जगह दी गई थी, उस वक्त भी निगम को 1 साल की ही रकम अदा की गई। राजनीतिज्ञ और निगम अधिकारियों की मिलीभगत से नगर निगम की जमीन पर कब्जा बरकरार रहा। यहां तक कि साल 2016 निगम अधिकारी द्वारा इस जमीन की ठेके की रसीद भी काट दी गई। नगर निगम कार्यालय से इस संबंधी सारा रिकॉर्ड भी गायब हो चुका है। वैसे तो नगर निगम लैंड विभाग कार्यालय से लीज पर दी गई 174 प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड भी गायब हो चुका।
निगम को आज ही कुछ दस्तावेज लोगों से मिले
नगर निगम जब अपनी जमीन पर कब्जा ले रहा था, तब मौके पर कुछ लोग कागजात लेकर आए। उन कागजातों में साल 1997 को नगर निगम द्वारा 3 वर्षों के लिए खेती-बाड़ी देने के लिए जमीन ठेके पर दी थी। इसके अलावा साल 2016 की नगर निगम की एक रसीद भी मिली है। एस्टेट अफसर धर्मेंद्रजीत सिंह ने इन दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया है। आज ही प्राप्त हुए कागजातों से साफ नजर आता है साल 1997 में एक राजनीतिज्ञ द्वारा अपने एक मुलाजिम के नाम ठेका लेकर आगे लोगों को ठेका देकर अब तक करोड़ों रुपए एकत्रित हो चुके हैं।अब इसकी जांच होगी तो निगम के कुछ अधिकारियों पर शिकंजा कस जाएगा।
कब्जा ना करने का निगम अधिकारियों पर दबाव डाला गया
नगर निगम अधिकारियों द्वारा इस जमीन पर कब्जा लेने के लिए पिछले 10 दिनों से कागजी कार्रवाई शुरू की गई थी। जिसकी सूचना राजनीतिज्ञ को पहुंचने पर उसके द्वारा नगर निगम को कब्जा ना करने पर निगम अधिकारियों पर लगातार दबाव डाला गया। किंतु निगम अधिकारी दबाब में नहीं आए।
ई ऑक्शन के माध्यम से जमीन बेचेंगे: निगम कमिश्नर
नगर निगम कमिश्नर संदीप ऋषि ने कहा कि जल्द ही नगर निगम द्वारा इस जमीन को बेचने की योजना तैयार की जाएगी।ई ऑक्शन के माध्यम से इस जमीन को बेचा जाएगा।
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