
अमृतसर,6 मई (राजन):आतंकी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ की आज शनिवार को लाहौर में हत्या कर दी गई। उसे जौहर कस्बे की सनफ्लावर सोसाइटी के बाग में सैर कर रहे पंजवड़ गोलियां मारी गईं। पंजवड़ की मौके पर ही मौत हो गई। पंचवड़ के गार्ड को भी गोली लगी जिससे वह घायल हो गया। गार्ड को अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। वह 1990 से ही पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था। वह यहां मलिक सरदार सिंह के नाम से रह रहा था। जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह 6 बजे बाइक पर आए दो लोगों ने यह हमला किया और फरार हो गए।
पंजवड़ ने साल 1986 को खालिस्तान कमांडो फोर्स ज्वाइन की थी
तरनतारन के पंजवड़ गांव के रहने वाले परमजीत सिंह पंजवड़ ने साल 1986 को खालिस्तान कमांडो फोर्स ज्वाइन की थी। उसका चचेरा भाई लाभ सिंह उस वक्त कमांडो फोर्स का कमांडर था। लाभ सिंह को सुरक्षाबलों ने जब मार गिराया उसके बाद परमजीत खुद खालिस्तान कमांडो फोर्स का चीफ बन गया। वह पहले एक बैंक में कार्यरत था। परमजीत सिंह पंचवड़ जनरल ए एस वैधय हत्याकांड और लुधियाना बैंक डकैती में नामजद है । पाकिस्तान में शरण लेने के उपरांत वह आतंकवादी जत्थे बंदियों और गैंगस्टरो के संपर्क में था।
1999 में करवा चुका चंडीगढ़ में बम ब्लास्ट
खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ ने 30 जून 1999 में चंडीगढ़ में पासपोर्ट कार्यालय के पास बम ब्लास्ट कराया था। इस धमाके में 4 लोग जख्मी हो गए थे, जबकि कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा था। धमाके के लिए स्कूटर की डिग्गी में बम रखा गया था। स्कूटर पर पानीपत (हरियाणा) का नंबर लगा हुआ था। पुलिस ने तब स्कूटर मालिक शेर सिंह को पानीपत से गिरफ्तार कर लिया था।
केंद्र की आतंकियों की लिस्ट में पंजवड़ का नाम
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वर्ष 2020 में नौ आतंकियों की लिस्ट जारी की थी जिसमें परमजीत सिंह का नाम शामिल था। इस लिस्ट में उसके अलावा बब्बर खालसा इंटरनेशनल के चीफ वधावा सिंह बब्बर का नाम भी था जो तरनतारन में ही दासूवाल गांव का रहने वाला है। पंजवड़ 90 के दशक से पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था ।
पंजाब में भेजता था नशीली दवाएं और हथियार
परमजीत भारत के पंजाब में ड्रोन के माध्यम से नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी में शामिल था। 1990 के दशक में पंजवाड़ ने खालिस्तान कमांडो फोर्स की कमान संभाली और पाकिस्तान भाग गया। पाकिस्तान में उसे शरण मिल गई। वो मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में टॉप पर था।उसने सीमा पार हथियारों की तस्करी और हेरोइनकी तस्करी के माध्यम से धन जुटाकर खालिस्तान कमांडो फोर्स को जीवित रखा। उसकी पत्नी और बच्चे जर्मनी में रहते हैं।
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