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नगर निगम की अरबो रुपयों की लीज वाली प्रॉपर्टियों पर काबिज लोगों को जा रहे नोटिस, मचा हड़कंप

अमृतसर,6 मई (राजन): नगर निगम द्वारा कई साल पहले अपनी प्रॉपर्टिया लोगों को लीज पर दी थी। उसकी एवज में मामूली सा किराया लिया जाता था। नगर निगम ने साल 2018 में ही लीज पर दी गई प्रॉपर्टी का किराया लेना बंद कर दिया। इस वक्त नगर निगम की इन प्रॉपर्टियों की कीमत अरबो रुपए है। कई साल पहले निगम द्वारा लोगों को दी गई सभी प्रॉपर्टी की लीज समाप्त हो चुकी है। अब निगम कमिश्नर संदीप ऋषि के आदेशों पर निगम के लैंड विभाग द्वारा लीज पर दी गई जगह पर काबिज लोगों को नोटिस भेजने शुरू कर दिए गए हैं। जिससे इन लोगों में इस वक्त हड़कंप मचा हुआ है। नोटिस मिलने पर यह लोग नगर निगम कार्यालय में चक्कर काट रहे हैं।

सभी फाइलें हो चुकी गायब

नगर निगम की इस वक्त लगभग 185 से अधिक प्रॉपर्टिया लीज पर चल रही थी । इन अरबों रुपयों की प्रॉपर्टियों पर काबिज लोग मुफ्त में आनंद ले रहे हैं। नगर निगम का लैंड विभाग जब टाउन हॉल के साथ लगते केसरी बाग में दफ्तर हुआ करता था, उस दफ्तर में से लीज पर दी गई प्रॉपर्टियों सभी लगभग 185 फाइलें ही किसी ने गायब कर दी गई। जब फाइलें गायब हुई, उस वक्त रिकॉर्ड गायब करने पर बड़े बड़े निगम अधिकारियों और मुलाजिमों के नाम लिए जा रहे थे। इस संबंधी जांच पड़ताल हुई, यहां तक की तत्कालीन निगम कमिश्नर द्वारा पुलिस को भी शिकायत कर दी गई, फाइलें गायब करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के विरूद्ध एफ आई आर दर्ज करके जांच की जाए। इसके बावजूद भी कुछ ही नहीं बना। ना तो  एफ आई आर दर्ज हुई, ना ही किसी के विरुद्ध कोई कार्रवाई हुई और ना ही आज तक लीज पर दी गई जमीनों की फाइलें मिल पाई है। यहां तक कि आज तक नगर निगम द्वारा लीज पर दी गई जमीनों को खाली भी नहीं करवाया गया हैं।

निगम कमिश्नर ने इसका लिया कड़ा संज्ञान

नगर निगम कमिश्नर संदीप ऋषि द्वारा इसका कड़ा संज्ञान लिया गया है । पहले तो गायब हुई हैं फाइलों की जमीने कायम है और निगम के लैंड विभाग के पास लीज पर दी गई जमीनों की सूची भी है। निगम कमिश्नर ऋषि के आदेशों पर लैंड विभाग द्वारा  निगम की जमीनों पर काबिज लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। नोटिस में परफॉर्मा यह लिखा जा गया है। इस जमीन पर इस वक्त काबिल कौन है, कितने क्षेत्रफल में यह जमीन हैं, जब यह जमीन लीज पर ली गई थी, उस वक्त किसके नाम पर ली गई थी, किस महीने और साल को लीज पर ली गई थी, कितने साल के लिए लीज पर ली गई थी और इस वक्त जमीन का क्षेत्रफल कितना है। अभी कुछ ही पार्टियों को नोटिस मिलने के उपरांत वह लोग नगर निगम दफ्तर के चक्कर काटने लगे हैं। इसमें विशेषकर शहर के कुछ स्कूल, पेट्रोल पंप, पुरानी संस्थाएं, कुछ जमीनों पर मार्केट बन गई  और अन्य संस्थान  भी शामिल है। अगर इसकी विस्तारपूर्वक जांच हुई तो नगर निगम को बहुत बड़ा खजाना मिल जाएगा ।

नियमानुसार होगी कार्रवाई

नगर निगम के एस्टेट अफसर धर्मेंद्रजीत सिंह का कहना है कि नोटिस भेजने शुरू कर दिए गए हैं और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि लैंड विभाग के अधिकारी इसकी खुद मौके पर जाकर भी जांच करेंगे। किस पार्टी को लीज पर जमीन दी गई, कहीं उस पार्टी ने आगे तो नहीं किसी को जमीन दे दी है। उन्होंने कहा कि यह भी कानून में प्रावधान है कि  लीज पर ली गई जमीन पर काबिज पार्टी डीसी रेट पर नगर निगम को भुगतान करके रजिस्ट्री करवा सकती है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अंतिम निर्णय  लेने का अधिकार नगर निगम कमिश्नर के पास ही है।

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