
अमृतसर,29 जुलाई (राजन):विवादों में घिरी हुई शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कर्मचारी यूनियन का पहला पत्र आज शिरोमणि कमेटी तक पहुंच गया है। यूनियन के घोषित प्रधान गुरिंदर सिंह भोमा ने एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी से सवाल करते हुए पूछा कि कर्मचारी अपनी यूनियन क्यों नहीं बना सकते, जबकि रागी जत्थों व पूर्व कर्मचारियों की यूनियनें पहले से बनी हैं।भोमा ने पत्र में लिखा- एसजीपीसी के कर्मचारियों द्वारा एक यूनियन का गठन किया गया है। यह यूनियन भी कमेटी के प्रबंधन के तहत सेवाएं देने वाले कर्मचारियों की यूनियन की तरह ही काम करेगी। सचखंड श्री दरबार साहिब के रागी सिंहों ने शिरोमणि रागी सभा सचखंड श्री दरबार साहिब का गठन किया और शिरोमणि कमेटी के प्रबंधन के तहत रागी का कर्तव्य निभाने वाले सिंहों की समस्याओं को अपने और कार्यालय तक पहुंचाया। एसजीपीसी इनके संबंध में उचित निर्णय लेने के लिए उप-समिति का गठन कर सदस्यों की राय ली जाती है। रागी सिंह भी अपने स्तर पर जन कल्याण के कार्य करते हैं।
यूनियन का प्रधान से सवाल
शिरोमणि कमेटी के प्रबंधन में सेवाएं दे रहे ढाडी व पाठी यदि यूनियन बनाकर अपने अधिकारों की मांग करते हैं तो कर्मचारियों को यह अधिकार क्यों नहीं है? यहां तक कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने भी यूनियन बना ली है। इस यूनियन में आप के ओएसडी भी शामिल हैं। हम आप का ध्यान इस ओर दिलाना चाहते हैं कि कर्मचारियों द्वारा बनाई गई यूनियन अपनी मांगों को लिखित रूप से आपके सामने रखेगी या किसी मुद्दे पर कुछ सदस्य आपसे व्यक्तिगत तौर पर चर्चा कर अपनी मांग रख सकते हैं।
कर्मचारियों की भावनाओं को गंभीरता से लेने की मांग
प्रधान भोमा ने कहा कि गुरुघर और नौकरी की गरिमा बनाए रखना यूनियन के सदस्यों और पदाधिकारियों का पहला कर्तव्य होगा। यूनियन को लेकर अगर एसजीपीसी ने यूनियन के सदस्यों के प्रति अपना रवैया बदला तो कर्मचारियों में नाराजगी हो सकती है। यूनियन के सदस्यों व पदाधिकारियों को दबाने की नियत से कार्यालय द्वारा अपनाये जा रहे हथकंडे बंद किये जाएं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो निकट भविष्य में स्थिति बदल सकती है। हमें उम्मीद है कि हमारी भावनाओं को गंभीरता से लिया जाएगा और कर्मचारियों को दबाने की नीति तुरंत बंद कर दी जाएगी।
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