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हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मतदाता सूची में सिख की परिभाषा की खामियां दूर करें : प्रो. सरचंद सिंह ख्याला

यदि घोषणा को सिख धर्म के अनुसार तर्कसंगत नहीं बनाया गया तो भविष्य में बड़ी चुनौतियां होंगी

मनजिंदर सिंह सिरसा, केंद्रीय गृह मंत्री और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी मामले की गंभीरता प्रति सूचित किया गया

भाजपा सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ प्रो. सरचंद सिंह, आलमबीर सिंह संधू और अन्य।

अमृतसर, 6 सितम्बर (राजन):भाजपा के सिख नेता प्रो. सरचांद सिंह ख्याला ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव के लिए सिख मतदाताओं की मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की योग्यता सिख की डेफिनेशन पर सवाल उठाते हुए हरियाणा सरकार से तुरंत चुनाव प्रक्रिया रोकने और खामियों को दूर करने की अपील की है। उन्होंने  शिरोमणि कमेटी चुनावों की चल रही प्रक्रिया में भी वही त्रुटिपूर्ण नियम लागू किए जाने की आशंका व्यक्त की और केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की।प्रो. सरचांद सिंह ने इस बारे में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव  मनजिंदर सिंह सिरसा की जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव के लिए मतदाताओं की पात्रता की घोषणा में सिख रहित मर्याद के अनुसार सिख की मानक परिभाषा , “जो महिला या पुरुष एक अकाल पुरख, दस गुरु साहिब, (श्री गुरु नानक देव जी से श्री गुरु गोबिंद सिंह जी),  श्री गुरु ग्रंथ साहिब और दस गुरु साहिबों की शिक्षाओं और दशमेश जी के अमृत में विश्वास करते हैं और किसी अन्य धर्म का पालन नहीं करते हैं , वह एक सिख है।” की अवधारणा शामिल नहीं है. केवल यह घोषित करना कि मैं केशधारी सिख हूं, मैं दाढ़ी नहीं काटता, सिगरेट नहीं पीता, हलाल और  नशा नहीं पीता, पतित नहीं हूं और 18 वर्ष पूरे कर चुका हूं, पर्याप्त नहीं होगा। उक्त योग्यता एवं शर्त को सिख धर्म से दूर चले गये किसी भी सिख विरोधी खेमे के अनुयायी जो सिख जैसे दिखते हों, के लिए पूरा करना कठिन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा कमेटी के चुनाव के अलावा, जिसे सिख संसद के नाम से जाना जाते शिरोमणि कमेटी (पंजाब, हिमाचल और चंडीगढ़ के लिए) जो दुनिया भर में रहने वाले सिखों का प्रतिनिधि निकाय है और जिसके पास ग्रंथी सिंह साहिबान और विशेष रूप से, अकाल तख्त साहिब सहित दो अन्य तख्तों के जत्थेदारों की नियुक्ति का अधिकार है, पर भी लागू किया जाता है तो आगे चलकर सिख समाज और सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती और परेशानी खड़ी होगी। उन्होंने कहा कि सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में सिख की परिभाषा के अनुसार, “सिख का अर्थ वह व्यक्ति है जो सिख धर्म में विश्वास करता है, मैं श्री गुरु ग्रंथ साहिब में विश्वास करता हूं और मैं दस गुरु साहिबों में विश्वास करता हूं और किसी अन्य धर्म में विश्वास नहीं करता हूं।” इसी प्रकार, वर्ष 1944 में इस अधिनियम की धारा 49 में कुछ संशोधन किये गये तथा वर्ष 1959 में सहजधारी सिखों के संबंध में कुछ संशोधन किये गये, परन्तु अब सहजधारियों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया है तो इस पे बात किया जाना व्यर्थ है।  क्योंकि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए शिरोमणि कमेटी चुनाव में सहजधारी सिखों को वोट देने का अधिकार देने संबंधी याचिका खारिज कर दी थी. इससे पहले 25 अप्रैल 2016 को देश की संसद में सिख गुरुद्वारा अधिनियम -1925 से संबंधित एक संशोधन विधेयक पारित होने के साथ ही ‘सहजधारी सिखों’ का गुरुद्वारा  चुनावों में मतदान करने का अधिकार हमेशा के लिए समाप्त हो गया है।प्रो सरचांद सिंह ने बताया कि हरियाणा के गुरुद्वारा चुनाव आयुक्त जस्टिस एचएच भल्ला ने हरियाणा कमेटी की चुनाव सूची के लिए 1 सितंबर से 30 सितंबर 2023 तक पंजीकरण कराने का समय दिया है। उधर, केंद्रीय गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद एसजीपीसी के आम चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि शिरोमणि कमेटी और अकाली दल ने इस गंभीर मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए मनजिंदर सिंह सिरसा से उचित कदम उठाएं जाने की गुहार लगाई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को पत्र लिखा।इस मौके पर उनके साथ आलमबीर सिंह संधू भी मौजूद थे।

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