
अमृतसर,13 मार्च(राजन): टाउन हॉल स्थित विवादित सवेरा बिल्डिंग को लेकर निगम कमिश्नर हरप्रीत सिंह ने एमटीपी विभाग के लगभग 11 अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। बता दे उन उन अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है, जो जो अधिकारी की बिल्डिंग निर्माण के समय इस क्षेत्र में ड्यूटी रही है। चाहे कुछ अधिकारियों का अमृतसर से तबादला भी हो चुका है।निगम कमिश्नर द्वारा नोटिस जारी किए भी एक सप्ताह से अधिक का समय हो गया है। अधिकारियों द्वारा अपने-अपने जवाब दिए जा रहे हैं। सवेरा बिल्डिंग की एक बेसमेंट के साथ 9 मंजिला बिल्डिंग का निर्माण के लिए लेंटर डल गए हैं।
इन अधिकारियों को हुआ नोटिस जारी
निगम कमिश्नर द्वारा एमटीपी नरेंद्र शर्मा, एमटीपी मेहरबान सिंह, एटीपी परमिंदर जीत सिंह, एटीपी परमजीत दत्ता, एटीपी प्रदीप सहगल, एटीपी अरुण खन्ना, बिल्डिंग इंस्पेक्टर निर्मलजीत वर्मा,बिल्डिंग इंस्पेक्टर नवजोत कौर,बिल्डिंग इंस्पेक्टर कुलविंदर कौर, बिल्डिंग इंस्पेक्टर धीरज कुमार, बिल्डिंग इंस्पेक्टर विशाल रामपाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसमें पूछा गया है जब आपकी ड्यूटी इस क्षेत्र में थी, तब निर्माण लगातार जारी रहा तो आपने क्या-क्या कार्रवाई की। जिन अधिकारियों को नोटिस जारी हुआ है, उनमें ऐसे भी अधिकारी हैं जिनकी ड्यूटी कुछ ही दिनों तक वहां रही है।
गलती से दो अधिकारियों को नहीं जारी हुआ नोटिस
निगम कमिश्नर द्वारा जब से सवेरा बिल्डिंग का निर्माण शुरू हुआ था, उस वक्त से लेकर अब तक जितने भी एमटीपी विभाग के अधिकारियों कि इस क्षेत्र में ड्यूटी लगी, उनकी सूची तैयार करवाई गई थी। इस सूची में गलती से दो अधिकारियों के नाम शामिल नहीं हुए। उन में एटीपी कुलवंत सिंह, बिल्डिंग इंस्पेक्टर हरप्रीत कौर की भी इस क्षेत्र में ड्यूटी रही है, इन दो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी नहीं हुआ।
9 अप्रैल को हाई कोर्ट में है तारीख
सवेरा बिल्डिंग को लेकर बिल्डिंग मालिकों ने हाई कोर्ट में पहले से याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उनकी बिल्डिंग का नक्शा मंजूर है तथा और भी तथ्य याचिका में पेश किए गए।जिस पर हाईकोर्ट द्वारा बिल्डिंग के स्टेटसस्कोप के आदेश जारी करके 9 अप्रैल की तारीख निर्धारित की थी। अब 9 अप्रैल को नगर निगम सवेरा बिल्डिंग को लेकर पूरे पूरे तथ्य हाई कोर्ट में पेश करेगी। हाई कोर्ट में स्टेटसस्कोप होने के कारण निगम का एमटीपी विभाग बिल्डिंग के अवैध निर्माण को तोड़ नहीं पाई है।
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