अमृतसर, 24 मार्च (राजन): पंजाब में 5 नगर निगमों अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और फगवाड़ा के कार्यकाल पूरा हुए लगभग एक वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी चुनाव न करवाने के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अमृतसर में समाज सेवक प्रमोद चंद्र बाली ने जनहित याचिका दायर की गई थी।याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार व राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया हुआ है, जिस पर 21 मार्च को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में स्टेट वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए ओर समय मांगा।।जिस पर इस याचिका की आगे की सुनवाई के लिए सीधे तौर पर 28 अगस्त 2024 तारीख तह की गई। इतनी लंबी तारीख तय की गई है, जिससे याचिका दायर करने वाले और हाई कोर्ट के वकील भी हैरान है।
जनवरी 2023 में नगर निगमो का कार्यकाल पूरा हुआ
अमृतसर के समाज सेवक प्रबोध चंद्र बाली द्वारा याचिका में कहा गया है कि जनवरी 2023 में नगर निगमों का कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव कराए जाने की आवश्यकता थी । क्योंकि यह अनिवार्य है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 249- यू के साथ-साथ पंजाब नगर निगमों की धारा-7 के तहत भी ऐसा करना होता है। राज्य चुनाव आयोग ने अधिसूचित नहीं की अनुसूची इन चुनावों का संचालन न करके, राज्य सरकार ने लगभग एक वर्ष से अधिक समय तक मतदाताओं को उनके मूल्यवान लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया है। राज्य चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव कराने की अनुसूची को अधिसूचित नहीं किया है। प्रमोद चंद्र बाली ने कहा कि वह खुद हैरान है कि हाई कोर्ट द्वारा 28 अगस्त की इतनी लंबी तारीख क्यों डाली गई है।
नगर निगम के इतिहास में यह पहली बार हुआ है
पिछले सवा साल में नगर निगम के चुनाव ही नहीं हुए हैं और लोकसभा चुनाव के चलतेअब जून महीने के बाद ही चुनाव होने की संभावना है। ऐसा नगर निगम अमृतसर के इतिहास में पहली बार हुआ है।नगर निगम अमृतसर का मेयर पहली बार साल 1990 में ओमप्रकाश सोनी बने थे। मेयर ओम प्रकाश सोनी का कार्यकाल के उपरांत तब कुछ महीने नगर निगम चुनाव देरी से पूरा होने हुए थे। इसके उपरांत सुभाष शर्मा मेयर चुने गए। इस हाउस के बीच किसी कारण सुभाष शर्मा को इस्तीफा देना पड़ा। तब बृजमोहन कपूर मेयर चुने गए। इसके उपरांत सुनील दत्ती मेयर चुने गए।फिर श्वेत मलिक और इसके उपरांत बख्शी राम अरोड़ा मेयर चुने गए। साल 2018 में करमजीत सिंह रिंटू मेयर चुने गए। जनवरी 2023 में नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो गया। पिछले सवा साल से नगर निगम चुनाव न होने से निगम का कोई भी मेयर और हाउस नहीं है। साल 1995 में मेयर ओमप्रकाश सोनी का कार्यकाल पूरा होने पर कुछ महीने तक निगम कमिश्नर ने हाउस की कमान संभाल ली थी। तब निगम कमिश्नर ने नगर निगम एडिशनल कमिश्नर, सहायक कमिश्नर, दो निगरण इंजीनियर, डीसीएफए और एल ए की एक हाउस कमेटी बना दी थी। इस हाउस कमेटी का चेयरमैन खुद निगम कमिश्नर थे । तब हाउस में डालने वाले प्रस्ताव कमेटी के अधिकारियों द्वारा तय करके एजेंडा ब्रांच के माध्यम से मंजूरी के लिए निगम कमिश्नर को भेजे जाते थे। निगम कमिश्नर की मंजूरी के बाद प्रस्ताव लोकल बॉडी विभाग को मंजूरी के लिए भेजा जाता था। पिछले सवा साल से नगर निगम हाउस नहीं है।
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