अमृतसर, 11 अक्टूबर:नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है । इस दिन कमल के फूल के ऊपर माता विराजमान होती हैं। रामनवमी भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में भी मनाई जाती है। इसलिए इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा में लाल वस्त्रों का माता को अर्पण करना, चांदी या सोने का छत्र एवं चूड़ियां व श्रंगार का सामान, सुगंधित तेल मेवा मिश्री, पांच फल, लांग इलायची, पान पत्र आदि चढ़ाना शुभ होता है। मां सिद्धिदात्री के पूजन से कष्टों का निवारण होता है।नौ दिनों तक देवी की आराधना करने के बाद अंतिम दिन सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। सिद्धिदात्री की सीख, प्रैक्टिस से किसी भी काम में एक्सपर्ट हो सकते हैं।देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव को सिद्धिदात्री ने ही सभी सिद्धियां दी थीं। देवी लाल वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए इनकी पूजा में लाल कपड़े पहनने चाहिए।सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में देवी की पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। देवी को खीर, पूरी, हलवा, चना और मौसमी फलों का भोग लगाएं। पूजा के बाद दिनभर व्रत रखें। देवी के मंत्रों का जप करें। शाम को फिर से देवी की पूजा करने के बाद व्रत खोलें। आज छोटी कन्याओं की भी पूजा करें और उन्हें भोजन कराएं। श्रीराम को 36 प्रकार भोग लगाकर जन्म उत्सव मनाना भी शुभकारी होता है।
देवी सिद्धिदात्री की पूजन विधि
गणेश पूजा के बाद देवी पूजा शुरू करें। पूजा में जल, दूध, मौली, चंदन, चावल, फूल, कुमकुम, हल्दी, चढ़ाएं। घी का दीपक और धूप लगाएं । नारियल, मौसमी फल और मिठाईका भोग लगाकर आरती करें।
देवी मंत्र
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी ।
मंत्र जप के बाद पूजा के अंत में जानी – अनजानी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें ।
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