अमृतसर, 1 नवंबर:शिरोमणि कमेटी की पिछली आम बैठक के दौरान गठित 11 सदस्यीय सलाहकार बोर्ड के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर इसके बारे में गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं, जबकि इस बोर्ड का उद्देश्य धार्मिक सलाह का विस्तार करना है जो कमेटी पूर्व से लगातार चल रही है। उन्होंने कहा कि फिर भी शिरोमणि कमेटी ने इस प्रस्ताव में सिख विद्वानों की राय से विवरण दिया है, ताकि कोई संदेह न रहे। संकल्प के संदर्भ में उन्होंने कहा कि समय-समय पर देश-विदेश से कई धार्मिक प्रश्न श्री अकाल तख्त साहिब पर आते हैं और यह बोर्ड गुरमत और सिख रेहित मर्यादा के आलोक में उनका समाधान करेगा। सलाहकार बोर्ड पूरी तरह से श्री अकाल तख्त साहिब की छत्रछाया और दिशानिर्देशों के तहत काम करेगा। जो छोटे और सामान्य मुद्दे बार-बार दोहराए जाते हैं, उन्हें अकाल तख्त साहिब सचिवालय द्वारा स्पष्टीकरण के लिए इस सलाहकार बोर्ड के पास भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्ताव के अनुसार, प्राचीन परंपरा के अनुसार, स्थानीय गुरुसंगत के निर्णयों के खिलाफ किसी भी मुद्दे या अपील की सुनवाई सीधे श्री अकाल तख्त साहिब में की जाएगी।
11 सदस्यों का नामांकन भी सिंह साहिबों की राय से किया जाएगा
एडवोकेट धामी ने कहा कि धार्मिक सलाहकार बोर्ड के सदस्यों को नामित करने के अधिकार के संबंध में चर्चा भी तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि इस बोर्ड में केवल विद्वानों को ही शामिल किया जाना है और विद्वानों का हिस्सा सभी का है, किसी एक पक्ष का नहीं।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा पांच सदस्यीय सलाहकार समिति के दो सदस्य अक्सर विदेश में रहते हैं, जिसके कारण बैठकों में कठिनाई होती है और अब 11 सदस्यों के जुड़ने से यह समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि 11 सदस्यों का नामांकन भी सिंह साहिबों की राय से किया जाएगा और इस बोर्ड के विचारार्थ मामले भी जत्थेदार साहिब द्वारा भेजे जाएंगे। कोई भी बात सीधे उनके पास नहीं आएगी।उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब सर्वोच्च एवं स्वतंत्र अस्तित्व का प्रतीक है, जिसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। एसजीपीसी अपनी संप्रभु इकाई बनाए रखने के लिए भी बाध्य है।
धार्मिक सलाहकार समिति 1990 से चल रही
इस अवसर पर सिख विद्वान डाॅ. इंद्रजीत सिंह गोगोआनी और डॉ. अमरजीत सिंह ने कहा कि धार्मिक सलाहकार समिति 1990 से चल रही है और वह लंबे समय तक इसके सदस्य रहे हैं।इस समिति की कार्यशैली कभी भी जत्थेदार साहिबों के निर्णयों में हस्तक्षेप करने की नहीं रही है, बल्कि यह मामलों के समाधान में स्पष्टता के लिए काम करती है। डॉ गोगोआनी ने कहा कि ऐसी समितियां अक्सर बनती रहती हैं। पुस्तक खोज पर एक समिति का गठन किया गया है और धार्मिक जांच और पूछताछ का एक विभाग भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब सिख पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और अनेक मुद्दों को देखते हुए ऐसे सलाहकार बोर्ड की स्थापना समय की मांग है। इस अवसर पर धर्म प्रचार समिति के सदस्य भाई अजाज सिंह, अभ्यासकर्ता, सिख विद्वान डाॅ. इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, डाॅ. अमरजीत सिंह, डाॅ. सूबा सिंह, प्रिंसिपल मंजीत कौर, सचिव प्रताप सिंह, सतबीर सिंह धामी, बलविंदर सिंह काहलवां, अतिरिक्त सचिव प्रितपाल सिंह, निजी सचिव शाहबाज सिंह, उप सचिव जसविंदर सिंह जस्सी, हरभजन सिंह वक्ता, मैनेजर भगवंत सिंह धंगेरा, अधीक्षक निशान सिंह आदि मौजूद थे।
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