
अमृतसर, 27 दिसंबर:देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने गुरुवार रात को दिल्ली AIIMS में अंतिम सांस ली। वे अविभाजित भारत में पंजाब के गाह गांव में पैदा हुए थे।उनका परिवार बंटवारे के समय पंजाब के अमृतसर में बस गया था। डॉ. मनमोहन सिंह ने 10वीं के बाद प्री कॉलेज करने के लिए हिंदू कॉलेज अमृतसर को चुना था। सितंबर 1948 में उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और पहला स्थान पाया। तत्कालीन प्रिंसिपल संत राम ने उन्हें रोल कॉल ऑफ ऑनर के साथ.सम्मानित किया।.वह पहले स्टूडेंट थे, जिन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया.गया था। यह किस्सा खुद डॉ. मनमोहन सिंह ने हिंदू कॉलेज में 2018 में आयोजित एलुमनी मीट और कनवोकेशन के दौरान सुनाया था। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि शिक्षक ही विद्यार्थी की विलक्षण शक्ति को पहचान सकते हैं। उन्होंने बताया था कि टीचर्स के कहने के बाद उन्होंने बीए.ऑनर्स इन इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया था। 1952 में एक बार फिर टॉपर बने। डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने पूर्व.प्रिंसिपल संत राम, प्रो. मस्त राम, प्रो. एसआर कालिया, डॉ..जुगल किशोर त्रिखा और डॉ. सुदर्शन कपूर को अपना हीरो बताया था।
7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर पंजाब में भी 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। आदेशों के मुताबिक राज्य में तिरंगा आधा झुका रहेगा और राज्य सरकार की ओर से किसी मनोरंजक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा।केंद्र सरकार ने पहले ही 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया था, और अब पंजाब सरकार ने भी इस शोक का पालन करते हुए राजकीय शोक की घोषणा की है।

दोस्तों ने साझा की थीं डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी बातें
कॉलेज पूरा होने के 65 साल के बाद साल 2018 में डॉ.मनमोहन सिंह हिंदू कॉलेज में पहुंचे थे। इस कॉलेज में उन्होंने तकरीबन 4 साल 1948 से 1952 तक शिक्षकों के लेक्चर सुन ज्ञान हासिल किया था। इस दौरान उनके कई क्लासमेट भी कॉलेज पहुंचे थे, जिन्होंने 2018 में प्रिंसिपल रहे डॉ. पीके शर्मा को कई किस्से सुनाए।
कम शब्दों में अपनी बात बोल जाते थे मनमोहन
डॉ. मनमोहन सिंह के बैचमेट रहे डीएवी लोकल मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट सुदर्शन कपूर ने बताया था कि वह 3 साल तक कॉलेज की डिबेट टीम का हिस्सा रहे थे। डॉ. मनमोहन के पास बोलने व दूसरों को प्रभावित करने की शैली शुरू से ही थी । डिबेट में वह बहुत ही कम शब्दों में व शांति के साथ अपनी बात बोल जाते थे। वह बात इतनी प्रभावशाली होती थी कि कोई उन्हें पहला इनाम देने से खुद को रोक नहीं पाता था। डॉ. मनमोहन का अधिक समय लाइब्रेरी में ही बीतता थे। जब भी वह इकट्ठे बैठते तो फिल्मों व एक्ट्रेस की बातें भी चल पड़ती थीं, लेकिन यह बातें सुन वह शरमा जाते।
डॉ. मनमोहन सिंह को देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री , देश विदेश से मिल रही है श्रद्धांजलि और यादें सांझा की जा रही
डॉ. मनमोहन सिंह को देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री , देश विदेश से मिल रही है श्रद्धांजलि और यादें समझा की जा रही हैं। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के कुलपति की ओर से भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और एक उत्कृष्ट राजनेता डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्र के साथ शोक व्यक्त करता है।पंजाब और सिख समुदाय के एक गौरवशाली पुत्र, डॉ. सिंह भारत के आर्थिक उदारीकरण के निर्माता थे, जिसने राष्ट्र को विकास और प्रगति के एक नए युग में आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल (2004-2014) दूरदर्शी नेतृत्व का एक प्रमाण था, जो समावेशी प्रगति, भारत की क्षमता की वैश्विक मान्यता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता से चिह्नित था।डॉ. सिंह की विनम्रता, बुद्धिमत्ता और अटूट ईमानदारी लाखों लोगों को प्रेरित करती है। उनका जीवन और कार्य इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे समर्पण, ज्ञान और सेवा एक राष्ट्र को बदल सकती है।गुरु नानक देव विश्वविद्यालय इस असाधारण नेता को सलाम करता है, जो हमेशा सिखों के लिए गर्व की किरण और हमारे राष्ट्र के नायक बने रहेंगे। उनकी विरासत हमें एक मजबूत और अधिक समृद्ध भारत के निर्माण में मार्गदर्शन करे।
न्यूरम की मीटिंग दौरान अमृतसर के सभी कार्य मंजूर होते थे
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नगर निगम अमृतसर के उस वक्त की परियोजना जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिनुयवल मिशन की केंद्र सरकार द्वारा जब मीटिंग ली जाती थी। उस मीटिंग में अमृतसर से संबंधित प्रोजेक्ट भी होते थे। उस वक्त के नगर निगम कमिश्नर डीपीएस खरबंदा मीटिंग में हाजिर होते थे। मीटिंग समाप्त होने से पहले केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा कहा जाता था कि प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के शहर से आए हैं, उनकी सभी परियोजना को पहल के आधार पर मंजूरी दी जाए। उस वक्त तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर बताते थे कि न्यूरम मीटिंग में अमृतसर के लिए सब कुछ मिल गया है। जिसमें शहर की एलिवेटेड रोड का प्रोजेक्ट भी मुख्य हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह के 6 ऐतिहासिक काम
जून 1991: वैश्वीकरण और उदारीकरण,जून 2005: सूचना का अधिकार,सितंबर 2005: रोजगार गारंटी योजना मार्च 2006: अमेरिका से न्यूक्लियर डील, जनवरी 2009: पहचान के लिए आधार कार्डअप्रैल 2010 में शिक्षा का अधिकार ऐतिहासिक काम
है।
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