
अमृतसर,31 मार्च(राजन गुप्ता): नगर निगम अमृतसर की 29 मार्च को हुई बजट और जनरल हाउस की मीटिंग शोर शराबे की भेंट चढ़ गई। पहले आपको बताना चाहते हैं कि नगर निगम की ओर से हाउस की मीटिंग के संबंध में कुछ गड़बड़ियों की गई। जिससे माहौल बिगड़ गया। हाउस की मीटिंग नगर निगम मेयर द्वारा बुलाई जाती है। मीटिंग को लेकर सारे इंतजाम मेयर,नगर निगम कमिश्नर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर और निगम अधिकारियों से मीटिंग करके करते है। मेयर जितेंद्र सिंह मोती भाटिया और नगर निगम कमिश्नर गुलप्रीत सिंह औलख को पता था कि विपक्ष हंगामा कर सकता है। 29 मार्च को हुई निगम हाउस मीटिंग में हाउस के कुल 88 सदस्य ही पहुंचे। निगम हाउस में सिर्फ सदस्य ही मौजूद रहते हैं। इसके अलावा मीडिया के लिए भी मीटिंग से पहले कोई भी आदेश जारी नहीं किए गए। इस बार हाउस मीटिंग में 88 सदस्यों के साथ-साथ महिला पार्षदों के पति, बेटे और समर्थक भारी संख्या में पहुंच गए। किसी ने भी उनको मीटिंग हॉल में जाने के लिए नहीं रोका। पहले होने वाली मीटिंग में मीडिया को इनवाइट किया जाता था, इस बार तीन दर्जन से अधिक रैकोग्नाइज मीडिया पर्सन के इलावा सोशल मीडिया के भी भारी संख्या में लोग पहुंच गए। खुद पार्षद और पार्षद समर्थक भी अपने-अपने मोबाइल फोनों पर सोशल मीडिया पर लाइव चलाते रहे।
सिक्योरिटी के अरेंजमेंट भी ठीक नहीं रहे

नगर निगम की ओर से हाउस मीटिंग की सिक्योरिटी के लिए पुलिस अधिकारियों को कहा गया था। किंतु सिक्योरिटी के भी अरेंजमेंट ठीक नहीं रहे हैं। पुलिस के अधिकारियों के साथ-साथ सिक्योरिटी मात्र मीटिंग हॉल में ही पहुंची। जबकि पहले नगर निगम कार्यालय के बाहर और कार्यालय के भीतर सिक्योरिटी मौजूद रहती है। पुलिस अधिकारियों के साथ नगर निगम के अधिकारी मीटिंग हॉल में तैनात रहते थे कि किस-किस को मीटिंग हॉल के भीतर आने देना है। यहां पर जिला लोक संपर्क अधिकारियों का भी होना जरूरी था। जिला लोक संपर्क अधिकारी(DPRO) मीडिया पर्सन की पहचान करके उनको ही मीटिंग हॉल में वीडियो कैमरा और मोबाइल फोन के साथ भीतर जाने देते हैं। नगर निगम की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया। जब शोर शराबा और गड़बड़ियों हो गई, तब जाकर डीपीआरओ से हाउस मीटिंग का प्रेस नोट, फोटो और एक वीडियो जारी करवा दिया गया। अगर यह नगर निगम द्वारा पहले से इंतजाम किए होते तो पुलिस अधिकारियों और निगम वरिष्ठ अधिकारियों को निगम कार्यालय के गेट पर खड़ा करके सभी के आइडेंटी कार्ड देखकर मीटिंग हॉल के भीतर प्रवेश करवाया जाता। दर्जनों की संख्या में महिला पार्षदों के पति,बेटे और पार्षदो के समर्थक मीटिंग हॉल में नहीं जा सकते थे। डीपीआरओ द्वारा मीडिया पर्सन की पहचान करके ही मीटिंग हॉल में भेजा जाता तो मीटिंग ठीक ढंग से हो सकती थी। नियम के अनुसार पार्षदों के अलावा अगर कोई भी मीटिंग हॉल में मीटिंग प्रक्रिया को देखने के लिए जाना चाहता है, उससे पहले से ही नगर निगम से मंजूरी लेनी पड़ती है। नगर निगम द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं अपनाया गया।
कांग्रेसी पार्षदों की उत्तेजना ने भी माहौल किया खराब

नगर निगम ने तो हाउस मीटिंग को लेकर गड़बड़िया तो की ही थी। इसमें कांग्रेसी पार्षदों की उत्तेजना, शोर शराबा और हंगामा ने भी मीटिंग का माहौल खराब कर दिया। बजट मीटिंग का समय बाद दोपहर 3:00 का था। 3:00 बजे ही कांग्रेस के 41 पार्षद, आप और आप समर्थक 33 पार्षद, भाजपा के 5 पार्षद और अकाली दल के 4 पार्षद मीटिंग हॉल में पहुंच गए थे। मेयर जितेंद्र सिंह मोती भाटिया, मंत्री हरभजन सिंह ई टी ओ, विधायक डॉ अजय गुप्ता, विधायक डॉ इंद्रबीर सिंह निज्जर, विधायक जीवनजोत कौर और विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह 3 :37 बजे मीटिंग हॉल में पहुंचे। इससे पहले ही कांग्रेसी पार्षद विकास सोनी, पार्षद संदीप रिंका ने हाजिरी रजिस्टर को लेकर शोर शराबा करना शुरू कर दिया था। मेयर,मंत्री और विधायकों के पहुंचने के बाद निगम कमिश्नर गुलप्रीत सिंह औलख ने कांग्रेसी पार्षदों से कहा कि शोर शराबा बंद करें मीटिंग को चलने दे।
मीटिंग शुरू होते ही कांग्रेसी पार्षद करने लगे शोर शराबा

जब निगम डीसीएफए मनु शर्मा ने नगर निगम बजट की मीटिंग शुरू होने की घोषणा की। कांग्रेसी पार्षदों ने मनु शर्मा की आवाज सुनाई ना देने पर शोर शराबा शुरू कर दिया। इसी बीच एजेंडा ब्रांच के इंचार्ज सहायक कमिश्नर दलजीत सिंह ने अभी बजट पढ़ना ही शुरू किया तो पार्षद विकास सोनी, पार्षद संदीप रिंका, पार्षद अश्विनी कॉले शाह अन्य कांग्रेसी पार्षद डीसीएफए मनु शर्मा, सहायक कमिश्नर दलजीत सिंह के समक्ष जाकर खड़े हो गए और शोर शराबा करने लग पड़े। उनका कहना है था कि बजट पर वोटिंग करवाई जाए। इसी बीच एडिशनल कमिश्नर सुरिंदर सिंह ने कुछ मामला शांत करवा कर कांग्रेसी पार्षदों को वापस उनकी सीट पर भेज दिया। इसके बावजूद भी कांग्रेसी पार्षद बजट शुरू होने ही पर वोटिंग करने पर अड़े रहे। कांग्रेसी पार्षदों को पहले बजट को सुनना चाहिए था, उसे पर एतराज जताकर वोटिंग के लिए कहना चाहिए था। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ शोर शराबे के बीच मेयर जितेंद्र मोती भाटिया ने मंत्री, विधायकों और आम आदमी पार्टी के पार्षदों के हाथ खड़े करवा कर सर्वसम्मति से बजट और जनरल हाउस की मीटिंग को मंजूरी दे दी गई। मंजूरी देते ही मेयर,मंत्री, विधायक मीटिंग हाल से चले गए और आप पार्षद भी मीटिंग हॉल से चले गए। कांग्रेसी पार्षदों ने स्टेज पर चढ़कर और जमीन पर बैठकर नारेबाजी जारी रखी। इसी बीच भाजपा के पांच पार्षद और अकाली दल के चार पार्षदों ने भी नारेबाजी शुरू कर दी। भाजपा पार्षदों ने तो विकास कार्य न होने और गंदा पीने का पानी आने के बारे में भी रोष प्रदर्शन किया।

बजट और जनरल मीटिंग के प्रस्तावों पर शोर शराबे के कारण नहीं हो सकी बहस

कांग्रेसी पार्षदों द्वारा पहले शुरू किए गए शोर शराबे के कारण बजट और जनरल मीटिंग के प्रस्तावों पर कोई भी विचार विमर्श और बहस नहीं हो पाई। अगर कांग्रेसी पार्षद शांतिपूर्वक मीटिंग शुरू होने देते तब जाकर सब कुछ होना था। क्योंकि मीटिंग हॉल में तीन दर्जन से अधिक पत्रकार, फोटोग्राफर, वीडियो कैमरे, मोबाइल फोनो से लाइव सोशल मीडिया चल रहा था। अगर शांतिपूर्वक एजेंडा ब्रांच इंचार्ज सहायक कमिश्नर दलजीत सिंह से बजट सुना जाता।

इसके उपरांत शांति पूर्वक विपक्षी पार्षद कह देते कि बजट के इस मध पर ऐतराज है,इस पर वोटिंग हो और बहुमत से बजट एजेंडा पास हो। अगर हाथ खड़े करके ही वोटिंग हो जाती जिसमें अधिक सदस्यों के हाथ खड़े होते, इसकी भी शांतिपूर्वक वीडियो बन जानी थी। इसके उपरांत जनरल हाउस की मीटिंग के प्रस्तावों को भी शांतिपूर्वक सुना जाता और प्रत्येक प्रस्ताव पर शांतिपूर्वक मंजूर करना या ना मंजूर करने के लिए वोटिंग होती तो परिणाम कुछ और ही होते । यहां तक की मेयर द्वारा बजट और जनरल हाउस मीटिंग की मंजूरी देने के उपरांत कांग्रेसी पार्षदों ने बजट की कॉपियां ही फाड़कर फेंकनी शुरू कर दी। कांग्रेसी पार्षद स्टेज पर चढ़ गए। उन्होंने मेयर की कुर्सी पर लिपके मेयर के कागज को ही फाड़ दिया। जितेंद्र मोती भाटिया को जाली मेयर कहना शुरू कर दिया और आम आदमी पार्टी मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए।
शोर शराबे के बीच बजट और जनरल प्रस्ताव मीटिंग मंजूरी के बाद मेयर ने पत्रकारों के सवालों के दिए जवाब

शोर शराबे के बीच बजट और जनरल हाउस की मीटिंग की मंजूरी के बाद मेयर ने अपने कार्यालय में जाकर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। मेयर जितेंद्र मोती भाटिया ने कहा कि अगर कांग्रेसी पार्षद शांतिपूर्वक जैसे कि नगर निगम का पहले भी सदन चलता रहा है, इस तरह से कार्य करते तो बजट एजेंट और जनरल हाउस मीटिंग के प्रत्येक प्रस्ताव पर बहस हो सकती थी। उन्होंने कहा कि बजट और जनरल प्रस्ताव शहर के विकास के लिए ही है। जिसमें मुख्य तौर पर सोल्ड वेस्ट मैनेजमेंट, डंप की बायोरेमेडीएशन, आउट सोर्सज पर सीवरेज मेन रखने, शहर के सिविल,ओ एंड एम और स्ट्रीट लाइट के विकास कार्यों , 20 हजार डॉग स्टेरलाइजेशन और टेबल एजेंडा को भी मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि बजट की मंजूरी और जनरल प्रस्तावों की मंजूरी से ही शहर का विकास कार्य हो सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी क्या यह नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी पार्षद पहले से ही यह धारणा बनकर आए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी पार्षदों ने संविधान का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि बजट और जनरल हाउस की मीटिंग के प्रस्तावों का वोटिंग ही करवानी थी, तब आराम से बातचीत करते तो वोटिंग हो सकती थी।
बजट और हाउस मीटिंग की प्रोसिडिंग बननी शुरू
नगर निगम द्वारा 29 मार्च को बजट और हाउस की मीटिंग कि आज प्रोसिडिंग बनानी शुरू कर दी है। 2 दिन में प्रोसिडिंग तैयार करके लोकल बॉडी विभाग को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। लोकल बॉडी विभाग द्वारा बजट को पहले मंजूर करके नगर निगम को भेज देगा। इसके उपरांत जनरल हाउस की मीटिंग के प्रस्तावों की जांच करके बाद में मंजूर करके नगर निगम को भेजा जाएगा ।
इस मीटिंग को लेकर कांग्रेसी फिर कोर्ट में जा सकते हैं
नगर निगम की 29 मार्च को बजट और जनरल हाउस की हुई मीटिंग को लेकर कांग्रेसी पार्षद एक बार फिर कोर्ट में जा सकते हैं। इससे पहले भी कांग्रेसी पार्षद विकास सोनी द्वारा माननीय पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट में नगर निगम अमृतसर मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर मामला दायर किया हुआ है। इसको लेकर कोर्ट में 21 अप्रैल को सुनवाई होनी है। विकास सोनी द्वारा पहले 9 पार्टियों के विरुद्ध याचिका दायर की थी। इस मामले में अब नगर निगम अमृतसर के कमिश्नर गुलप्रीत सिंह औलख को भी पार्टी बना दिया गया है। अब देखना यह होगा कि 21 अप्रैल को माननीय हाई कोर्ट की डबल बेंच इस पर क्या निर्णय देती है या फिर आगे की तारीख डालती है। यह तो 21 अप्रैल को ही पता चलेगा।
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