
अमृतसर,29 अप्रैल(राजन गुप्ता):नगर निगम अपने विभागों के टैक्स लेने के पीछे चल रहा है। इसका मुख्य कारण टैक्स एकत्रित करने वाले पोर्टल कभी बंद हो जाते हैं और कभी काफी स्लो चल रहे हैं। जिससे नगर निगम को वित्त तौर पर नुकसान हो रहा है। प्रॉपर्टी टैक्स की भी बात करें तो प्रॉपर्टी टैक्स का एम सेवा पोर्टल ठीक ढंग से नहीं चल रहा है। जिससे प्रॉपर्टी टैक्स अदा करने वालों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। पोर्टल में अभी तक डिफॉल्टर पार्टियों की भी सूची नहीं निकल रही है। इसके साथ-साथ जिस पार्टी के प्रॉपर्टी टैक्स के एवज में चेक डिसऑनर हुए थे, चाहे विभाग द्वारा डिसऑर्डर हुए चैको का भुगतान ले चुका है। पोर्टल से 31 मार्च के बाद हुए भुगतान का बनाता जुर्माना और ब्याज भी अपलोड नहीं कर रहा है। डिफॉल्टर पार्टियों की सूची अपलोड होने के बाद प्रॉपर्टी टैक्स विभाग के अधिकारी टैक्स लेने के लिए सीलिंग अभियान शुरू कर सकता है। जिससे निगम को भारी भरकम टैक्स एकत्रित हो सकता है।
ट्रेड लाइसेंस फीस-कंजरवेसी चार्ज एकत्रित करने का भी बुरा हाल
ट्रेड लाइसेंस फीस-कंजरवेसी चार्ज एकत्रित करने का भी बुरा हाल है। पहले लाइसेंस फीस और कंजर्वेसी लेने के लिए पोर्टल काफी दिन तक बंद रहा।अब 25 अप्रैल को 20 दिन बाद पोर्टल दोबारा से शुरू हुआ।नए वित्तीय वर्ष को लेकर पोर्टल अपग्रेड किया जा रहा था, जिस कारण रिन्युअल और नए लाइसेंस के लिए फीस जमा नहीं हो पा रही थी। एक मई से ट्रेड लाइसेंस रिन्युअल नहीं करवाने पर 25 फीसद और एक जुलाई से कंजरवेसी फीस पर 10 फीसद जुर्माना लगेगा।
2024 में 15,801 कारोबारियों ने ही ट्रेड लाइसेंस और कंजरवेसी चार्ज जमा कराए
शहर में 65 हजार से अधिक कामर्शियल अदारे इसके दायरे में होने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं, स्टाफ कम होने और कोई सर्वे नहीं होने से बीते साल सिर्फ 15,801 कारोबारियों ने ही ट्रेड लाइसेंस और कंजरवेसी चार्ज जमा करवाए। निगम की तरफ से 500 रुपये ट्रेड लाइसेंस फीस और 300 रुपये सालाना कंजरवेसी चार्ज रखे गए हैं।
निगम के पास स्टाफ की कमी
कारोबारियों के पास समय की कमी होने से ज्यादातर ट्रेड लाइसेंस बनाने नहीं आ पाते हैं। दूसरी तरफ निगम के पास इतना स्टाफ नहीं की फील्ड में जाकर कैंप लगाकर ट्रेड लाइसेंस बनाए या रिन्युअल किए जा सके।निगम ने अब तक यह भी सर्वे नहीं करवाया है कि इसके दायरे में कितने कारोबारी आते हैं। वहीं, अनुमान लगाया जा रहा है कि 65 हजार से ज्यादा कारोबारी इसके दायरे में आते हैं।
वर्ष 2006 में 25 हजार ट्रेड लाइसेंस रजिस्टर्ड हुए थे
19 साल पहले वर्ष 2006 में 25 हजार ट्रेड लाइसेंस रजिस्टर्ड हुए थे। उस वक्त चुंगी खत्म होने के कारण सारे इंस्पेक्टर लाइसेंस ब्रांच में लगाए गए थे। इस वजह से उस वक्त ट्रेड लाइसेंस की गिनती में बढ़ोतरी दर्ज हुई। वहीं, बाद में इन इंस्पेक्टरों को अन्य विभागों में तैनात कर दिया गया।निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टरों को भी ट्रेड लाइसेंस रजिस्ट्रेशन का काम सौंपा गया है। वहीं, शहर की सफाई व्यवस्था के प्रबंधन में व्यस्त होने के कारण वह इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे। मौजूदा समय में ट्रेड लाइसेंस विभाग में दो इंस्पेक्टर ही काम कर रहे हैं और यहां कोई क्लर्क नहीं है। जिस कारण लाइसेंस विभाग टैक्स रिकवरी बहुत कम हो रही है।
पिछले 13 महीनो से वाटर सप्लाई व सीवरेज कमर्शियल बिल अपलोड नहीं हो रहे
यही हाल वाटर सप्लाई व सीवरेज कमर्शियल बिलों का भी है। पिछले 13 महीना से वाटर सप्लाई व सीवरेज कमर्शियल बिल अपलोड नहीं हो रहे हैं। ना ही कमर्शियल डिफाल्टर पार्टियों की सूची अपलोड हो रही है। जिससे नगर निगम को कम से कम 10 करोड रुपए से अधिक की वित्तीय हानि हो रही है। नगर निगम की मुख्य आमदनी का स्रोत कमर्शियल आदारों से वाटर सप्लाई व सीवरेज बिल से ही है। अगर कमर्शियल आदारों को बिल ही नहीं जाएगा, वह कैसे बिल जमा करवाने के लिए आ सकते हैं। नगर निगम अमृतसर द्वारा पीएमआईडीसी को कई बार इस संबंध में लिखा गया है। किंतु पिछले 13 महीनो से यह पोर्टल शुरू हुई नहीं हो पाया है। वैसे तो नगर निगम को पोर्टल शुरू न होने पर कमर्शियल आदारों को मैन्युअल बिल जारी करके टैक्स एकत्रित कर लेना चाहिए। इस ओर नगर निगम के मेयर और नगर निगम के कमिश्नर को विशेष ध्यान देना होगा। चाहे इसको लेकर हाउस की मीटिंग बुलाकर प्रस्ताव लोकल बॉडी विभाग को भी भेजना चाहिए।
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