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विधायक रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी पर विजिलेंस ने किया खुलासा: विधायक से मिली भगत करके एटीपी बिल्डिंगों को भेजता था नोटिस

अमृतसर, 23 मई :पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के जालंधर रेंज कार्यालय ने आज जालंधर (केंद्रीय) के मौजूदा विधायक रमन अरोड़ा को नगर निगम जालंधर के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।इस संबंध में जानकारी देते हुए विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि 14 मई 2025 को इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिजाइनर एसोसिएशन, जालंधर के तीन पदाधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित एक संयुक्त शिकायत ब्यूरो को प्राप्त हुई थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि सहायक टाउन प्लानर (ए.टी.पी.)  सुखदेव वशिष्ठ अवैध रिश्वत की मांग करता है। शिकायत में यह भी कहा गया कि वह अपने क्षेत्र का दौरा करते समय लोगों को उनकी इमारतों को सील करने और गिराने की धमकी देता है। साथ ही यह भी आरोप था कि कई फाइलें लंबित रखी गई हैं, जबकि निगम के अन्य विभाग पहले ही उन्हें मंजूरी दे चुके हैं।

इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिजाइनर एसोसिएशन की शिकायत पर मामला किया गया दर्ज

प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस शिकायत की जांच के बाद विजिलेंस ब्यूरो जालंधर रेंज ने एसोसिएशन के प्रधान इंजीनियर सुनील कटियाल की शिकायत पर सुखदेव वशिष्ठ, ए.टी.पी., एम.सी. जालंधर के खिलाफ भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम की धारा 7 के तहत 14/05/2025 को मामला संख्या 23 दर्ज किया गया था। विजिलेंस ब्यूरो ने आरोपी को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था। जांच के दौरान पता चला कि सुखदेव वशिष्ठ पहले पठानकोट में वरिष्ठ ड्राफ्ट्समैन के पद पर तैनात था लेकिन उसके पास अतिरिक्त प्रभार के तौर पर ए.टी.पी. जालंधर का काम भी था और वह अप्रैल 2022 से समय-समय पर लगातार जालंधर में तैनात रहा।गिरफ्तार किए गए ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ के कार्यालय और आवास की तलाशी के दौरान आपराधिक दस्तावेज़ों और भौतिक सबूतों सहित, उसके कब्जे से और कार्यालय के रिकॉर्ड से सैंकड़ों सरकारी नोटिस बरामद किए गए जो अवैध निर्माण और संबंधित मामलों से संबंधित थे। इनमें से कुछ नोटिस तो डिस्पैच रजिस्टर में भी दर्ज नहीं किए गए थे। इसके अलावा, बिना किसी कारण के लंबे समय से लंबित दस्तावेज भी मिले।

ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ, विधायक रमन अरोड़ा के कहने और सलाह पर नोटिस भेजता था

प्रवक्ता ने आगे बताया कि जांच में यह भी सामने आया कि गिरफ्तार अधिकारी एक स्थानीय राजनेता के साथ मिलकर शहर के लोगों से जबरन पैसे वसूलने और भ्रष्टाचार करने के लिए एक विशेष तरीका अपना रहा था। ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ, विधायक रमन अरोड़ा के कहने और सलाह पर वाणिज्यिक और आवासीय दोनों प्रकार की निर्माणाधीन इमारतों की पहचान करता था और कथित उल्लंघनों के लिए नोटिस भेजता था। जब इमारत के मालिक या उनके प्रतिनिधि संबंधित अधिकारी से संपर्क करते थे, तो वह उन्हें विधायक के पास भेजता था। विधायक अवैध रूप से रिश्वत लेकर मामले को सुलझा देते थे। विधायक से सहमति मिलने पर फाइलें आरोपी ए.टी.पी. द्वारा आगे भेज दी जाती थीं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी। ऐसी मिलीभगत से जुड़े करीब 75-80 नोटिस बरामद किए गए हैं। अन्य फाइलों के निपटारे के लिए भी यही तरीका अपनाया जाता था। उन्होंने बताया कि ब्यूरो और स्थानीय निकाय विभाग की तकनीकी टीमों द्वारा प्रत्येक नोटिस और दस्तावेज की विस्तृत और दस्तावेजी जांच की जा रही है और कई खामियां सामने आई हैं।

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