
अमृतसर, 14 जून (राजन गुप्ता): नगर निगम के मुलाजिम बताकर बैंक से कर्जा लेने का सैकेंडल सामने आया है। यह तब पता चला जब कर्ज लेने वाले द्वारा बैंक की किस्त जमा नहीं करवाई गई। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया लॉरेंस रोड शाखा द्वारा दो लोगों को 15-15 लाख रुपए कर्ज दे दिया। कर्ज लेने के बाद बैंक को किस्त जमा नहीं करवाई गई। जिस पर बैंक के अधिकारी नगर निगम में जांच करने आए तो कर्जा लेने वाले दो लोग नगर निगम के मुलाजिम नहीं थे। इसकी जांच के आदेश नगर निगम कमिश्नर गुरप्रीत सिंह औलख द्वारा जॉइंट कमिश्नर जय इंद्र सिंह को दे दिए गए।
निगम मुलाजिमों की बैंक में सैलरी जमा करवाते समय लिस्ट में 8 फर्जी नाम डाल दिए
नगर निगम जॉइंट कमिश्नर द्वारा जब इसकी जांच करवाई गई। जांच में सामने आया कि आईसीआईसीआई बैंक रंजीत एवेन्यू की शाखा में नगर निगम के 72 मुलाजिमों की बैंक अकाउंट में सैलरी डाली गई। उस सूची में 8 ऐसे लोगों के नाम डाल दिए गए, जो नगर निगम के मुलाजिम ही नहीं है। इन आठ लोगों की नगर निगम के मुलाजिम के तौर पर बैंक खातों की सूची,एचडीएफसी बैंक शाखा हॉल बाजार को भी भेजी गई। इस सूची के आधार पर ही स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया लॉरेंस रोड शाखा ने दो लोगों को 15-15 लाख का कर्ज दे दिया।
जांच दौरान क्लर्क दोषी पाया गया
नगर निगम जॉइंट कमिश्नर द्वारा जांच निगम स्वास्थ्य अधिकारी डॉ किरण कुमार से करवाई गई। जांच दौरान नगर निगम स्वास्थ्य विभाग का एस्टेब्लिशमेंट क्लर्क हैप्पी दोषी पाया गया। क्लर्क हैप्पी द्वारा ही निगम अकाउंट ब्रांच से चेक लेकर मुलाजिमों के बैंक खाते में जब सैलरी डाली गई, उसमें से 8 लोगों के फर्जी नाम डालकर उनके खाते में 4.65 लाख रुपए सैलरी डाल दी गई। सैलरी स्लिप के आधार पर ही बैंक से कर्जा मिल गया। नगर निगम कमिश्नर द्वारा फिलहाल क्लर्क हैप्पी को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके साथ-साथ आगे की भी जांच की जा रही है। वैसे तो नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारी का वेतन देने के लिए बैंकों में अकाउंट ब्रांच के अधिकारियों को ही बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची देकर चेक जमा करवाने चाहिए, एस्टेब्लिशमेंट क्लर्कों द्वारा बैंक को डील नहीं करना चाहिए।
कर्ज देने से पहले बैंक को नगर निगम से वेरिफिकेशन करनी चाहिए थी
कोई भी बैंक किसी को भी जब कर्जा देता है, तब कर्ज लेने वालों की पूरी पूरी वेरिफिकेशन की जाती है। फर्जी नगर निगम मुलाजिमो को कर्जा देने से पहले बैंक अधिकारियों को नगर निगम कार्यालय में आकर पूरी पूरी वेरिफिकेशन करने के उपरांत ही कर्जा जारी करना चाहिए था। अभी तो ऐसे दो ही मामले सामने आए हैं। पता चला है कि यह घोटाला पिछले लंबे अरसे से चल रहा है। नगर निगम के मुलाजिम बनकर बैंकों से कर्ज लेने का फर्जीवाड़ा की बैंकों से पूरी तरह से जांच करवाई जाए तो करोड़ो रुपयो का घोटाला सामने आ सकता है। फिलहाल नगर निगम जॉइंट कमिश्नर द्वारा बैंकों के अधिकारियों को कर्ज जारी करने के लिए बनाए गए सभी कागजात सहित बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया गया है।
जो भी दोषी पाया गया उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी
नगर निगम कमिश्नर गुलप्रीत सिंह औलख ने कहा कि फिलहाल क्लर्क हैप्पी को सस्पेंड किया गया है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले की जांच अभी की जा रही है। इसमें नगर निगम का कोई भी अधिकारी दोषी पाया गया तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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