
अमृतसर,30 दिसंबर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य कार्यालय में 328 पावन स्वरूपों के मामले को लेकर अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने दर्ज की गई FIR पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह मामला बिना पूरी जांच के दर्ज किया गया है और इसके पीछे केवल राजनीतिक मंशा काम कर रही है।
धामी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि 328 सरूप मामले में सेवादार से लेकर तत्कालीन मुख्य सचिव तक, जिन-जिन की जिम्मेदारी बनती थी, सभी के खिलाफ एसजीपीसी ने कार्रवाई की। उन्होंने दो टूक कहा कि कमेटी की किसी भी दोषी को बचाने की न तो मंशा है और न ही कोई दबाव। उन्होंने कहा एसजीपीसी ने हमेशा अपने नियमों के अनुसार पारदर्शी कार्रवाई की है।
एसजीपीसी प्रधान ने बताया कि 27 अगस्त 2020 को पारित प्रस्ताव के तहत दोषी अधिकारियों पर अलग-अलग कार्रवाई की गई थी। इसके बाद 5 सितंबर 2020 को सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि मामला पुलिस को न सौंपकर श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों के अनुसार निपटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी के सर्विस रूल्स में कहीं भी पुलिस को मामला देने का प्रावधान नहीं है।
धामी ने हाईकोर्ट में चले मामलों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ कर्मचारी अदालत गए, कुछ बहाल हुए, लेकिन नियमों के अनुसार उन्हें दोबारा निलंबित कर चार्जशीट किया गया। हाईकोर्ट ने भी माना कि एसजीपीसी ने अपने नियमों के तहत कार्रवाई की है। इतना ही नहीं, पुलिस को FIR दर्ज करने से संबंधित याचिकाएं भी अदालत ने खारिज कर दी थीं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2021 में राज्य सरकार ने ‘खुद अदालत में एसजीपीसी के फैसलों का समर्थन किया था, लेकिन अब उसी से मुकरा जा रहा है। राजनीतिक आरोपों पर जवाब देते हुए धामी ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि वे शिरोमणि अकाली दल के सिपाही हैं। अंत में धामी ने कहा कि जब अन्य मुद्दे विफल हो गए, तब इस मामले को राजनीतिक लाभ के लिए उछाला जा रहा है, जबकि बंदी सिंहों और जून 1984 जैसे गंभीर मुद्दों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।
” अमृतसर न्यूज अपडेट्स ” की खबर व्हाट्सएप पर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करें
Amritsar News Latest Amritsar News