पिछले 3 वर्षों में लाइसेंस ब्रांच की आमदन में भारी गिरावट
अमृतसर,24 अगस्त (राजन): नगर निगम ने ट्रेड लाइसेंस ना बनवाने वालों पर शिकंजा कस दिया है। पिछले 3 वर्षों में निगम के लाइसेंस ब्रांच की आमदनी में भारी गिरावट आई है। इसे गंभीरता से लेते हुए ज्वाइंट कमिश्नर दीपजोत कौर और लाइसेंस ब्रांच के सेक्शनल हेड स्वास्थ्य अधिकारी डॉ किरण कुमार ने लाइसेंस ब्रांच के अधिकारियों, चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टरो औऱ सेनेटरी इंस्पेक्टरों के साथ एक हंगामी मीटिंग की गई। मीटिंग में दीपजोत कौर और डॉ किरण कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पिछले 3 वर्षों में लाइसेंस ब्रांच की आमदनी में आई भारी गिरावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समूह अधिकारी फील्ड में उतर कर ट्रेड लाइसेंस बनाए और बनती कंजर्वेंसी फीस भी वसूल करें। समूह चीफ और सेनेटरी इंस्पेक्टरो आदेश दिए गए कि लाइसेंस ना बनवाने वालों के धारा 343 के अंतर्गत चालान काटे जाएं और नोटिस भी जारी किए जाएं। इसके बावजूद भी जो लाइसेंस ना बनवाएं उनकी प्रॉपर्टियों को सील किया जाए।
बहुत कम वसूल हुई लाइसेंस फीस
नगर निगम को पिछले 3 वित्त वर्ष में बहुत ही कम लाइसेंस फीस वसूल हुई है। वर्ष2019-20 में 57 लाख रुपए, वर्ष 2020-21 में 77.75 लाख रुपए और 2021-22 में72.68 लाख रुपए लाइसेंस फीस वसूल हुई है। जबकि लाइसेंस फीस वसूल करने का लक्ष्य प्रति वर्ष 2.50 करोड रुपैया रखा गया। इसके साथ साथ प्रतिवर्ष कंजर्वेंसी फीस वसूल करने का भी करोड़ों रुपयों में लक्ष्य निर्धारित रखा गया था। इसके बावजूद नगर निगम के गल्ले में काफी कम कंजर्वेंसी फीस आई है।
डिफॉल्टर पार्टियों की सूची मांगी
लाइसेंस और कंजर्वेंसी फीस कम आने का कड़ा संज्ञान लेते हुए निगम ज्वाइंट कमिश्नर दीपजोत कौर ने पिछले 3 वर्षों से कंजर्वेंसी में डिफाल्टर पार्टियों की सूची सीएफसी सेंटर के अधिकारियों से मांगी है। डिफॉल्टर पार्टियों की सूचियां आने के उपरांत पार्टियों पर कानून और नियम के अनुसार बनती कार्रवाईया शुरू हो जाएंगी।
कैंप लगाकर लाइसेंस बनाएं
स्वास्थ्य अधिकारी डॉ किरण कुमार ने सभी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं कि शहर की समूह व्यापारिक एसोसिएशन और मार्केटो की यूनियनों के पदाधिकारियों से संपर्क करके मार्केटो के हिसाब से कैंप लगाकर लाइसेंस बनवाए जाएं। ताकि नगर निगम का टारगेट अचीव हो पाए। इस कार्य में लापरवाही वर्तनी वाले अधिकारियों के विरुद्ध बनती विभागीय कार्रवाईया भी की जाएगी।
क्या है प्रावधान ?
नगर निगम से ट्रेड लाइसेंस बनवाने की फीस मात्र पांच सौ रुपया है। लाइसेंस फीस के साथ साथ कंजर्वेंसी फीस लगती है। कंजर्वेंसी फीस अदारे में कार्यरत मुलाजिमों की संख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से लगती है। प्रत्येक वित्त वर्ष में मार्च महीने से लेकर अप्रैल महीने तक लाइसेंस बनवाने वालों को कोई भी जुर्माना नहीं लगता है। मई से जुलाई माह तक 25 प्रतिशत जुर्माना, अगस्त से अक्टूबर माह तक लाइसेंस बनवाने वालों पर 50 प्रतिशत जुर्माना लगाने का प्रावधान है। अब तो नई लाइसेंस नीति के अनुसार लाइसेंस ना बनवाने वालों पर प्रतिदिन 100 रुपया जुर्माने का प्रावधान है। इसके बावजूद भी अगर कोई लाइसेंस नहीं बनवाता उसे नोटिस भेजकर उसकी प्रॉपर्टी सील करने का भी प्रावधान है।
कैसे लगती कंजर्वेंसी !
नगर निगम की आमदन का मुख्य स्रोत लाइसेंस फीस के साथ कंजर्वेंसी है। जिस अदारे में 9 तक मुलाजिम कार्यरत है उन पर तीन सौ रुपए, 10 से लेकर 14 मुलाजिम कार्यरत पर 600 रुपए,19 तक मुलाजिम कार्यरत पर 750रुपए,29 तक मुलाजिम कार्यरत पर 1200 रुपए,39 तक मुलाजिम कार्यरत पर 1800 रुपए तथा इससे अधिक मुलाजिम कार्यरत पर 4 हजार रुपए कंजर्वेंसी फीस लगती है। इसी तरह से क्षेत्रफल के हिसाब से सरकारी,गैर सरकारी, स्कूलो, कॉलेजों, इंस्टिट्यूट, अस्पताल, रेस्टोरेंट्स और अन्य कमर्शियल अदारो पर अलग-अलग कंजर्वेंसी फीस लगाने का प्रावधान है।
होटलों से वसूली जाती है सबसे अधिक कंजर्वेंसी
नगर निगम को सबसे अधिक कंजर्वेंसी फीस होटलों से आती है। होटलों पर क्षेत्रफल के हिसाब से कंजर्वेंसी फीस वसूली जाती है।249 वर्ग गज पर बने होटलों पर 4 हजार रुपए,500 वर्ग गज तक बने होटल से 20 हजार रुपए,1000 वर्ग गज तक बने होटल से 30 हजार रुपए,1500 वर्ग आज तक बने होटल से 45 हजार रुपए तथा 2000 वर्ग गज तक75 हजार रुपये और इससे अधिक क्षेत्रफल पर बने होटल से एक लाख रुपया प्रति वर्ष कंजर्वेंसी वसूल करने का प्रावधान है। इसी तरह से शहर के प्रत्येक क्लब से भी एक लाख रुपया प्रति वर्ष कंजर्वेंसी फीस वसूली जाती रही है।
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