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अमृतसर, 16 नवंबर (राजन): जमीन एकवायर्ड करने में हुई धांधली तथा किसानों की अन्य मांगों को लेकर किसानों ने भंडारी पुल पर अनिश्चित कालीन धरना लगाकर शहर वासियों को पूरी तरह से परेशान कर दिया है। किसान यूनियन की ओर से सुबह 12 बजे लगाए गए धरने की वजह से देर रात तक शहरवासी ट्रैफिक जाम से जूझते रहे। हालांकि किसानों की ओर से भंडारी पुल की एक साइड धरना लगाया गया, पर किसानों की ट्रालियों की वजह से जहां जाम के हालात बन गए, वही पुलिस भी ट्रैफिक व्यवस्था को सेट करने में बुरी तरह से विफल रही। किसानों के धरने की वजह से कई एंबुलेंस, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट जाने वाले यात्रियों को भी भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आज दोपहर से ही भंडारी पुल के चारों ओर,क्रिस्टल चौक, दोआबा चौक, हुसैनपुरा पुल के दोनोंओर , रिगो ब्रिज के दोनों ओर, इस्लामाबाद फाटक, इमरजेंसी वार्ड फाटक, शिवाला फाटक के दोनों ओर बुरी तरह से लोग ट्रैफिक में फंसे हुए हैं। लोगों का कहना है कि उनका कसूर क्या है? रोजमर्रा का कार्य करने वाले घंटों ट्रैफिक के बीच में फंसे रहे।समाचार लिखे जाने से शहर में ट्रैफिक की समस्या बनी हुई थी।
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धरने देने के लिए भंडारी पुल ही क्यों ?
अपनी मांगों को पूरी करवाने के लिए आए दिन अलग-अलग संस्थाओं, जत्थे बंदियों द्वारा भंडारी पुल पर ही क्यों धरना लगाया जाता है। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा पहले से ही रंजीत एवेन्यू क्षेत्र में एक जगह निर्धारित की गई थी। किंतु प्रशासन द्वारा इसे लागू क्यों नहीं कराया जा रहा है। लोगों का कहना है कि किसानों को अगर धरना ही देना है तो वह मंत्री और विधायकों के घरों के बाहर धरना दें। लोगों को इतना परेशान क्यों किया जा रहा है?
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एक नंबर से जिला प्रशासन को धरने की दी हुई है चेतावनी
किसान यूनियन नेताओं का कहना है एक नवंबर से जिला प्रशासन को धरने की चेतावनी दी हुई है।भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धपुर की ओर से पंजाब में पांच जिलों में धरने लगाए गए हैं। किसानों की मुख्य मांगे भारत माला प्रोजेक्ट के अधीन आते हाईवे में आने वाली जमीनों के गलत मुआवजे होने पर संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने, गुलाबी सुंडी के साथ हुए नुकसान का उचित मुआवजा देने, मजीठा में 3 साल पहले ओलावृष्टि के साथ हुए धान की फसल के मुआवजे को देने, मुरादपुर गांव में निकासी नाले को पूरा बंद करके कॉलोनी बनाए जाने की कार्रवाई का विरोध, दिल्ली संघर्ष के मारे गए किसानों को उचित मुआवजा, पराली को जलाने के कारण दर्ज किए केसों को रद करने, लखीमपुर में मंत्री के खिलाफ कोई एक्शन ना लेना, बोनस देने संबंधी तथा अन्य मांगों के प्रति अपनी आवाज बुलंद की। यूनियन के प्रदेश प्रधान जगजीत सिंह डलेवाल, जिला अमृतसर के प्रधान कर्मजीत सिंह नंगली ने कहा कि 6 अक्टूबर को पंजाब सरकार के साथ किसानों की बैठक हुई थी जो मांगे मानी गई है।
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