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तीसरी डेडलाइन खत्म, भगतांवाला डंप पर बायोरेमिडेशन पिछले 5 महीने से बंद, कूड़ा 10 से बढ़कर 13 लाख मीट्रिक टन से अधिक

कंपनी हर फॉरेमेट में हो रही विफल

भगतावाला डंप में लगा कूड़े का पहाड़।

अमृतसर,2 अक्टूबर (राजन): नगर निगम ने शहर में डोर टू डोर और कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट से कूड़ा उठाने, भगतावाला डंप से कूड़े के पहाड़ को बायोरेमेडीएशन के माध्यम से हटाने और इस जगह पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लाने का कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ है। सभी फॉरेमेंट में कंपनी विफल नजर आ रही है। जिसमें भगतांवाला डंप से कूड़े का पहाड़ बढ़ता ही चला जा रहा है। डंप खाली करने के लिए 3 बार मियाद बढ़ाई जा चुकी है। आखिरी बार बढ़ाई गई तीसरी मियाद 30 सितंबर को खत्म हो गई। वहीं पिछले 7 बरसों में की गई तामाम कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं और कूड़ा कम होने की बजाए करीब 3 लाख मीट्रिक टन ज्यादा बढ़ गया है। बायोरेमेडीएशन पिछले 5 महीने से लगातार बंद पड़ी हुई है।बायोरेमिडेशन शुरू करने से पहले डंप पर 13 लाख मीट्रिक कूड़ा होने का अनुमान लगाया गया था। फरवरी 2019 में डंप पर बायोरेमिडेशन का काम शुरू किया गया था, जिसमें से 3 लाख मैट्रिक टन कूड़े की बायोरेमेडीएशन हो गई। वहीं 4 साल में कूड़े का लेवल कम होने की बजाय मौजूदा समय में एक बार फिर 13 लाख मीट्रिक टन से भी अधिक कूड़ा जमा हो चुका है।

आरडीएफ का बहाना

कंपनी का कहना है कि पहले से ही बायो रेमिडेशन की वजह से काफी रिफ्यूज्ड डिराइन्ड फ्यूल (आरडीएफ) इक्टठा हो चुका है,जिसमें आग लग सकती है। जिन फैक्टरियों में आरडीएफ का फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है,.सरकार उनको आरडीएफ लेने के लिए बात मदद करे।जबकि आरडीएफ का एक बहाना बनाया जा रहा है। भीषण गर्मी में आमतौर पर कूड़े के डंप में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही थी। आरडीएफ को आग लगने की कभी कोई घटना नहीं आई। अभी तक किसी ने भी आरडीएफ की पूरी तरह से जांच नहीं करवाई है कि इस आरडीएफ में क्या-क्या पदार्थ है और कितनी मिट्टी है। इसकी जांच की रिपोर्ट आने के बाद सभी कुछ खुलासा हो सकता है।

यह भी रही मुश्किलें किंतु कोई हल नहीं

बायोरेमेंटेशन करने में और भी काफी मुश्किल रही है किंतु इसका भी कोई हल नहीं निकला है।4 साल में अवरडा कंपनी ने 4 लाख मीट्रिक टन बायोरेमिडेशन की, वो भी बेकार गई म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्लयू) कंपनी का निगम के साथ सबसे पहले 18 मार्च 2016 को एग्रीमेंट हुआ था। जिसमें कंपनी ने 2 साल तक डंप साइट क्लियर करने की बात कही थी। वहीं वित्तीय संकट की वजह से इस कंपनी को दुबई की अवरडा कंपनी ने टेकओवर किया था। जिसमें कंपनी ने निगम के साथ 19 जून 2020 को नए सिरे से एग्रीमेंट किया था। इसमें कंपनी ने इंफ्रास्ट्रक्टर अपग्रेड करके 31 अक्टूबर 2022 तक डंप साइट क्लियर करने की बात कही थी। वहीं बॉयो रेमिडेशन की धीमी गति और पूरी मशीनरी नहीं चलाने की वजह से यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। कंपनी ने बरसात और अन्य मुश्किलों का हवाला देते हुए बाद में मार्च 2023 तक डंप साइट क्लियर करने की बात कही थी। इसके बाद फिर कंपनी ने एनजीटी मानीटरिंग
कमेटी से डंप साइट क्लीयर करने को लेकर फिर से 30 सितंबर तक मोहलत मांगी थी। कंपनी मशीनें चलाने के लिए बिजली कनेक्शन लिया।मगर इसके बावजूद बायो रेमिडेशन की स्पीड नहीं बढ़ाई जा अब तीसरी डेडलाइन फिर खत्म हो गई मगर कूड़े का पहाड़ वैसे का वैसा खड़ा है।वैसे भीताजा कूड़े की प्रोसेसिंग नहीं होने के कारण इस मेहनत पर भी पानी फिर गया। वहीं कूड़े का पहाड़ खत्म होने की बजाए फिर से बढ़ता
चला गया।

जुर्माना  की जांच भी होनी चाहिए

नगर निगम की तरफ से कंपनी को जुर्माने लगाने का प्रावधान हैं। जिसमें सभी घरों से कूड़ा कलेक्शन नहीं होने, कूड़ा उठाते समय सेग्रीगेशन होना, वर्करों के यूनिफार्म में नहीं होने, सेकंडरी प्वाइंट्स से लिफ्टिंग न होने वाहनों से कूड़ा इधर-उधर फैलने, बायोरेमिडेशन सही ढंग से न होने को लेकर जुर्माने डाले जाने का प्रावधान हैं। अगर कंपनी पर आज तक डालेंगे जुर्माना की जांच की जाए तो बड़े-बड़े हैरानीजनक तथ्य सामने आएंगे। कंपनी कूड़े के वजन के हिसाब से भुगतान लेती है। कूड़े के वजन करने के क्या-क्या तरीके हैं यह भी एक जांच का विषय है।कूड़ा उठाने की एवज में कंपनी लगभग 145 करोड़ रुपयो के अधिक का भुगतान नगर निगम से ले चुकी है।जिसमें कुछ निगम अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है।  हाल ही में कंपनी ने अपनी कई गाड़ियां खराब होने के कारण कुछ नई गाड़ियां भी सड़कों पर उतारी लेकिन डोर टू डोर लिफ्टिंग सही ढंग से नहीं हो पा रही है। वहीं डंप की जमीन के.कुछ हिस्से का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस वजह से चारदीवारी का काम पूरा नहीं हो पाया है। इसके बावजूद भी नगर निगम द्वारा पिछले महीनो डिजिटल मेयरमेंट करवाई गई थी। उस डिजिटल मेयरमेंट में जितनी जमीन नगर निगम की आई, उतनी जमीन पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगा सकता है। यह बात एनजीटी की एक मीटिंग में कंपनी के अधिकारी ने बात मानी भी थी । इसके बावजूद वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने का मामला अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाया है।

कंपनी बाकी के फोरमेट में भी फेल, आने वाले दिनों में हो सकता है कोई बड़ा ड्रामा

बायोरेमेडीएशन में विफल हो रही कंपनी बाकी के फोरमेट जिसमें मुख्य तौर पर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन हैं।इस वक्त नगर निगम द्वारा डंप का बायोरेमेडीएशन और एनर्जी सेविंग प्लांट लगाने का मुद्दा तो एक तरफ रखा जा रहा है।  निगम अधिकारी इस वक्त शहर में डोर टू डोर और कलेक्शन प्वाइंट से कूड़ा कलेक्शन के माइक्रो प्लान बना रहे हैं। इंडिया में कंपनी के कुछ बड़े ऑफिस  बंद भी होने जा रहे हैं। जिससे निगम अधिकारियों को लग रहा है आने वाले दिनों में कंपनी द्वारा बड़ा ड्रामा किया जा सकता है। इससे निपटने के लिए नगर निगम अपनी तैयारी में जुटा हुआ है। इसके लिए नगर निगम और कंपनी बड़े-बड़े वकीलों के चक्कर काट रही है। बाहरहाल आने वाले दिनों में सभी कुछ  स्पष्ट हो जाएगा ।

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