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बिना मंजूरी के चल रहे ‘बाल घर’ के मुखिया को हो सकती है 1 साल की सजा : जिला बाल संरक्षण अधिकारी

फाइल फोटो जिला बाल संरक्षण अधिकारी योगेश कुमारी ।

अमृतसर,26 दिसम्बर : जिला अमृतसर में कोई भी बाल गृह, जिसमें 0 से 18 वर्ष की आयु के अनाथ और निराश्रित बच्चों या विकलांग बच्चों के लिए कोई भी बाल गृह शामिल है, जो किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 41(1) के तहत पंजीकृत नहीं है, ऐसे बाल गृह के प्रमुख पर कार्रवाई हो सकती है। विभाग द्वारा किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 42 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 1 वर्ष की कैद या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों होंगे।इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी  योगेश कुमारी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा बनाये गये किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुसार कोई भी ऐसा बाल गृह जो किसी सरकारी गैर सरकारी संस्था द्वारा चलाया जा रहा हो, जिसमें 0 से 18 वर्ष के अनाथ और निराश्रित बच्चों या विकलांग बच्चों को आवास और भोजन और देखभाल प्रदान की जाती है और उन्हें सरकार से अनुदान मिलता है या नहीं, उन्हें किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 41 (1) के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की सुरक्षा एवं देखभाल) के तहत सरकारी एवं गैर सरकारी संस्था द्वारा निबंधन के लिए संबंधित जिले के उपायुक्त को अनुरोध पत्र देना होगा तथा उक्त बाल गृह का निरीक्षण करने के बाद जिला स्तरीय निरीक्षण समिति द्वारा उपायुक्त की अनुशंसा के माध्यम से राज्य सरकार को निबंधन के लिए भेजा जाना है, उक्त अवधि के दौरान राज्य सरकार द्वारा 6 माह के लिए औपबंधिक निबंधन किया जाता है तथा दस्तावेजों के पूर्ण सत्यापन के बाद 5 वर्ष के लिए स्थायी निबंधन किया जाता है।जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने अपील करते हुए कहा कि यदि जिले में कोई बाल गृह है जो किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं है, तो इसकी सूचना तुरंत जिला प्रशासनिक परिसर, द्वितीय तल कमरा नंबर 236-238 (फोन नंबर) ,78146-76459 तथा जिन लोगों ने गैर सरकारी संगठन का पंजीकरण नहीं कराया है, वे 29-12-2023 तक जिला बाल संरक्षण इकाई में अपना अनुरोध प्रस्तुत करें।

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