100 छोटे किसानों की पराली का प्रबंधन प्रशासन खुद करेगा
अमृतसर, 20 सितंबर: जिले में धान की पराली जलाने की प्रवृत्ति को पूर्ण रूप से रोकने के लिए डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी के नेतृत्व में टीमें लगातार सक्रिय हैं और कल शाम तक जिले में पराली जलाने की कोई घटना नहीं हुई। डीसी साहनी ने किसानों को सचेत करते हुए कहा कि हमारी नजर हर खेत पर है और जो भी पराली जलाएगा, उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने कहा कि प्रत्येक उपमंडल में एसडीएम आग लगने वाले क्षेत्र में पहुंचकर कार्रवाई कर रहे है। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि यह राज्य में पहली बार है कि जिला प्रशासन अमृतसर 100 छोटे किसानों की पराली का प्रबंधन स्वयं करेगा और उन पर किसी भी प्रकार का वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
किसानों की सहायता के लिए डीसी कार्यालय में एक कॉल सेंटर स्थापित किया गया है
डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि किसानों की सहायता के लिए डीसी कार्यालय में एक कॉल सेंटर स्थापित किया गया है, जिसका नंबर 0183-2229125 है।उन्होंने कहा कि कोई भी किसान पराली प्रबंधन के लिए किसी भी प्रकार की मशीनरी प्राप्त करने के लिए इस नंबर पर संपर्क कर सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पराली प्रबंधन मशीनरी उपलब्ध करायी जायेगी। उन्होंने कहा कि एक एकड़ धान की फसल से लगभग ढाई से तीन टन पुआल निकलता है और एक टन पुआल जलाने से हमें 400 किलोग्राम कार्बनिक कार्बन, 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस, 2.5 किलोग्राम पोटाश और 12 किलो सल्फरका नुकसान होता है। इन तत्वों की पूर्ति बाजार से रासायनिक खाद खरीदकर की जाती है, इसलिए किसानों को धान की पराली जलाने की बजाय उसे मिट्टी में मिलाकर गेहूं की बुआई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की पराली को खेतों में मिलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, खाद कम डालनी पड़ती है और मित्र कीटों की संख्या बढ़ने से फसल पर कीटों का आक्रमण बढ़ जाता है।
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