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गुरु नानक देव अस्पताल में ग्लूकोज से मरीजों को हुए रिएक्शन की वजह आई सामने

अमृतसर, 19 अप्रैल:गुरुनानक देव अस्पताल में ग्लूकोज से मरीजों को हुए रिएक्शन की वजह सामने आ गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल में भेजे गए ग्लूकोज के बैच नंबर एलवी-979 में बैक्टीरियल एंडोटोक्सिन पाया गया है।यह ग्लूकोज जीवाणु रहित के मानकों को पूरा नहीं करता। इस बैच के ग्लूकोज में जीवाणुओं की संख्या पाई गई है। जिससे मरीजों को शारीरिक रूप से विषमताओं का सामना करना पड़ा। दूसरी तरफ बैच नंबर एलवी 4972 ग्लूकोज गुणवत्ता के मानकों में खरा उतरा है।एलवी 4979 बैच के नॉर्मल स्लाइन ग्लूकोज 500 एमएल सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन आईपी 0.9 डब्ल्यू/वी में पाए गए बैक्टीरियल एंडोटोक्सिन के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। हालांकि विभाग ने मरीजों को रिएक्शन होने के तत्काल बाद ही यह ग्लूकोज मंगवा लिया था।

कंपनी के खिलाफ नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी

हिमाचल प्रदेश के बद्दी की कंपनी द्वारा यह ग्लूकोज तैयार किया गया था। अब पंजाब व केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से कंपनी के खिलाफ नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।दवा निर्माता कंपनियों के उत्पाद मादक गुणवत्ता के न पाए जाने पर उनके खिलाफ ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 तथा पंजाब मैन्युफैक्चर्ड ड्रग्स रूल्स 1959 के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। इसके अंतर्गत दवा निर्माता का लाइसेंस रद अथवा निलंबित किया जा सकता है। दवा निर्माता को जुर्माना और जेल भी हो सकती है।

गुरु नानक देव अस्पताल में 13 मार्च को ग्लूकोज लगाते ही मरीजो को हुआ था रिएक्शन

साल 2025 के 13 मार्च को अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में नॉर्मल स्लाइन ग्लूकोज लगाते ही मरीजों को रिएक्शन हो गया। यह रिएक्शन इतना तीव्र था कि मरीजों का शरीर कांपने लगा और त्वचा पर दाने उभर आए। मरीजों को तड़पता देखकर अस्पताल में हड़कंप मच गया। डॉक्टरों ने मरीजों को तत्काल हाइड्रोकोटिसोन इंजेक्शन लगाया। इसके बाद मरीजों की स्थिति सामान्य होने लगी।इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने नॉर्मल स्लाइन ग्लूकोज का सारा स्टॉक सील कर दिया था और ट्रक में लोड कर चंडीगढ़ भेजा गया है। इसके साथ ही संगरूर में भी मरीजों को ग्लूकोज रिएक्शन हुआ था।विशेष बात यह है कि ग्लूकोज की बोतलों पर लैबोरेट्री जांच की मोहर भी लगी थी। नॉर्मल स्लाइन की जांच दो लैबोरेट्री से करवाई गई थी। रिपोर्ट में कोई कंटेमिनेशन यानी संदूषण नहीं पाया गया था। इसके बाद केंद्रीय ड्रग विभाग की टीम ने ग्लूकोज के सैंपल जांच के लिए भरे थे और अब इनकी रिपोर्ट आई है।

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